रक्त दान करके जरूरतमंद व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता है: डा दरोच

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आवाज़ ए हिमाचल 
            अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
29 जून । रक्त दान महा दान है, रक्त दान से जहां किसी की जिंदगी को बचाया जा सकता है, वहीं रक्त देने वाले को भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यह बात मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डा प्रकाश दरोच ने कहते हुए बताया कि हर किसी को रक्त की जरूरत होती है, रक्त का एक छोटा सा हिस्सा दान करके जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करके उसकी जिंदगी को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बिना किसी आर्थिक लाभ की इच्छा से दिया गया रक्त स्वैच्छिक रक्तदान है, पेशेवर रक्त दाता से पैसे दे कर रक्त लेने पर कानूनी रोक है। उन्होंने बताया कि यह रक्त रोग मुक्त व उत्तम गुणवत्ता का नहीं होता। युवा स्वैच्छा से रक्तदान कर दुर्घटना ग्रस्त, जले हुए मामलों, गर्भावस्था, प्रसव के दौरान व प्रसव के बाद हुए रक्त स्राव से उत्पन्न खून की कमी से महिला को बचाने के लिए, अनुवांसिक रोग सीकलसैल अनिमिया व थैलसीमिया औंर हीमोफीलिया के रोगियों, दिल के ऑपरेशन व बडे आप्रेशन के समय, जहर निगलने, रीएक्शन से हुई रक्त की क्षति तथा तीव्र रक्त अल्पता के रोगियों का अमूल्य जीवन बचा सकते हैं।
रक्त बनाने की कोई मशीन नहीं होती, केवल मानव का रक्त ही मनुष्य के जीवन बचाने के काम आता है। पूर्ण रूप से शारीरिक व मानसिक तौर पर स्वस्थ महिला व पुरूष जिनका हीमोग्लोबिन स्तर क्रमशः 12 व 13 ग्राम, 18 से 65 वर्ष के आयु वर्ग वाले, न्युनतम वजन 45 किलो ग्राम व इससे उपर तथा एच आई वी, हैपेटाइटिस ए, सी, मलेरिया, पीलिया, यौन रोग, दमा, मिरगी, कैंसर रोग न हों, शरीर पर सोजिस, नीलापन, गांठें, न हो और उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हाॅरमोन, स्टीरियाड और एस्पीरीन दवा न लेते हों वही व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। महिलाएं साल में तीन बार और पुरूष चार बार रक्तदान कर सकते हैं। शराब व नशीली दवा के आदि व्यक्ति, गर्भवती, 6 महीने से कम समय की स्तनपान करवाने वाली महिला को रक्तदान से वंचित रखा गया है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1930 में चार ब्लड ग्रुप ए, बी, ओ, ए बी और आर एच फैक्टर पाॅजिटिव व नेगेटिव का ज्ञान होने के बाद 1942 में भारत वर्ष का पहला ब्लड बैंक कोलकाता में बना। उस के बाद आज तक रक्त उपयोग बहुत आसान, विश्वसनीय और सफल साबित हुआ है। रक्त दान का एक वैज्ञानिक आधार यह है कि रक्त कण हर पल नए बनते हैं और पुराने शरीर से निकाल दिए जाते हैं अर्थात रक्त बनना एक निरंतर प्रक्रिया है। शरीर के कुल वजन का 1/12 भाग औसतन 5 लीटर रक्त होता है, प्रति किलो ग्राम शरीर वजन पर 8 मिली लीटर या शरीर में विद्यमान रक्त का 7 प्रतिशत लगभग एक युनिट 350 मिली लीटर जो शरीर में अतिरिक्त होता है व्यक्ति दान कर सकता हैं। दान किए गए रक्त की पूर्ति 24 घंटे से सात दिन में पूरी हो जाती है। रक्त दान में 10 से 15 मिनट लगते हैं।
उन्होंने बताया कि रक्तदान से पहले व बाद में विशेष आहार की नहीं अपितु पहले की तरह आम संतुलित आहार के साथ तरल पदार्थ दूध, जूस, चाय व फल लेना लाभकारी है। रक्तदान उपरांत 15 से 20 मिनट तक आराम के बाद हल्का काम कर सकता है।
उन्होंने बताया कि रक्तदान से किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती बल्कि रक्त परिसंचरण में गति से ताजगी महसूस होती है। उन्होंने सभी से खासकर युवाओं से अनुरोध किया कि रक्तदान में बढ़ चढ़ भाग लें इसके लिए औरों को भी पे्ररित करें और इस कल्याणकारी कार्य में अपनी भूमिका बढ-चढ कर अदा करें।

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