पद्मश्री की घोषणा के तीन दिन बाद बाबा इकबाल सिंह का देहांत

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आवाज़ ए हिमाचल

जीडी शर्मा,राजगढ़

29 जनवरी।कलगीधर ट्रस्ट के संस्थापक व शिरमणि पंथ महान संत बाबा इकबाल सिंह किगरा का निधन हो गया।अहम यह है कि संत बाबा इकबाल सिंह किगरा को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए चयनित किया गया था,लेकिन इससे पहले की वे पद्मश्री पुरस्कार ले पाते,उनके
बडू साहिब में निधन हो गया।उनके शव का अंतिम संस्कार 30 जनवरी को बडू साहिब में किया जाएगा।


इकबाल सिह किगरा का जन्म एक मई 1926 को हुआ था और उन्होंने कृषि विज्ञान में स्नातक और कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। बाद में वह हिमाचल सरकार में बागवानी एवं कृषि विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत रहे।उन्होंने बडू साहिब में अब तक ज्ञात तपो भूमि का खुलासा किया, जिसे 1956 में स्थापित किया गया था। इकबाल सिंह 1986 में हिमाचल सरकार की अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए और स्थायी रूप से बड़ू साहिब चले गए। बाद में 1982 में, इकबाल सिंह ने कलगीधर ट्रस्ट और बाद में कलगीधर सोसाइटी की स्थापना की ।


बडू साहिब में उन्होंने 1986 में केवल 5 छात्रों के साथ एक कमरे में अकाल अकादमी स्कूल की शुरुआत की, जो आज सीबीएसई से संबद्ध 129 स्कूलों की श्रृंखला है। यह संस्थान उत्तर भारत के दूर दराज व ग्रामीण क्षेत्रों में फैली हुई हैं, जिसमें 70,000 ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं की आधुनिक एवं आध्यात्मिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान की जाती है I उनका मानना है कि ग्रामीण बच्चों को मुख्यधारा से दूर धकेला जा रहा है और वास्तव में ऐसा नहीं होना चाहिए और राष्ट्र के विकास के लिए इन ग्रामीण बच्चों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है ।


उन्होंने 2008 में बड़ू साहिब ( हिमाचल प्रदेश) में इटरनल विश्वविद्यालय और 2015 में पंजाब में दमदमा साहिब में अकाल विश्वविद्यालय की भी स्थापना की थी। कलगीधर ट्रस्ट बडू साहिब द्वारा शिक्षा के अतिरिक्त भी विभिन्न समाजिक सेवा के कार्य उतर भारत के अनेक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो मे किये जा रहे है जैसे नशा मुक्ति केंद्र ,महिला उत्थान केंद्र ,स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र इसके साथ साथ ट्रस्ट द्वारा चलाये जा रहे, विद्यालय में निर्धन परिवारो की कन्याओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है और उसके बाद उन्हें इन्ही विद्यालय मे रोजगार प्रदान कर दिया जाता है। ट्रस्ट द्वारा संचालित लगभग 129 विद्यालयो में ऐसी सैंकडों महिलाएं अध्यापन कार्य करवा रही है ।यह सब बाबा इकबाल सिह के मार्गदर्शन व अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया था।

उनके निधन की खबर मिलते ही उतर भारत के अनेक स्थानो पर उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थानो में शोक की लहर दोड गई है और उनके अनुयायियों का बडू साहिब आना शुरू हो गया है। कल तक हजारो की संख्या मे उनके अनुयायियों का बडू साहिब पंहुचने का अनुमान है।

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