ऑर्गेनिक मशरूम खेती कर प्रदेश में नए एंटरप्रेन्योर्स व बेरोजगारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने बिलासपुर के नरेंद्र

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राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट मशरूम ग्रोवर अवार्ड ऑफ इंडिया जीत चुके हैं नरेंद्र

आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। मन में अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो व्यक्ति किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है। जरूरत है जिस क्षेत्र में आप कदम रखना चाहते हो, उसकी सही जानकारी और अच्छी समझ की, बिलासपुर जिला के नम्होल के रहने वाले नरेंद्र सिंह स्नातक शिक्षा एवं होटल मैनेजमेंट करने के बाद जुनून और कड़ी मेहनत से न सिर्फ खेती के क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल किया, बल्कि लाखों बेरोजगार युवाओं और एंटरप्रेन्योर्स के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हैं।

नरेंद्र, पलोग पंचायत में “एग्रो हिल मशरूम” नाम से कंपनी चलाते हैं। उन्होंने 2008 में 100 मशरूम कम्पोस्ट बैग सिर्फ 8000 रुपए छोटे स्तर से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा। आज वे लगभग 15 लाख रुपए वार्षिकी का यह कारोबार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वह अब तक हजारों लोगों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।

कैसे हुई शुरुआत

वर्ष 2008 में होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग करने के उपरांत विज्ञापन के माध्यम से मशरूम खेती में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा उद्यान विभाग के माध्यम से द्वारा प्रदान किये जा रहे विभिन्न प्रकार के अनुदान और विभाग द्वारा लोगों को मशरूम खेती से सम्बन्धित दिए जाने वाले प्रशिक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसके उपरांत उद्यान विभाग बिलासपुर के माध्यम से चंबाघाट सोलन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। आईसीएआर के अंतर्गत डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च केंद्र सोलन में लगातार प्रशिक्षण लेते रहे।

शुरू में आसान नहीं था कारोबार करना

शुरुआत में उत्तम गुणवत्ता वाली खाद व अन्य सहायक वस्तुएं नहीं मिलने पर थोड़ा नुकसान जरूर होता रहा और फिर कुछ समय बाद काम बंद करने की सोची लेकिन डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च केंद्र सोलन और उद्यान विभाग बिलासपुर से लगातार मार्गदर्शन मिलने के बाद 2014 में कंपोस्ट व बीज की एक प्रोजेक्ट तैयार की। वर्ष 2014 में कंपोस्ट व बीच का प्रोजेक्ट तैयार करने के बाद उद्यान विभाग के माध्यम से पलोग में एग्रो हिल मशरूम फार्म स्थापित की गई। बाद में प्रदेश सरकार के माध्यम से डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर सोलन से मशरूम सपॉन की विशेष ट्रेनिंग ली।

नरेश ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से मिली सहायता और विशेष ट्रेनिंग के बाद अच्छी आय की शुरुआत हुई वर्ष 2020 तक पिछले सभी प्रकार के ऋण चुका दिये गये । इसके बादं वातानुकूल मशरूम इकाई 3000 बैग क्षमता की भी उद्यान विभाग के माध्यम से स्थापित की गई, जिससे अब वर्ष भर उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020- 21 में 14000 मशरूम कंपोस्ट बैग और 10000 किलो बीज का उत्पादन एवं वितरण किया गया लगभग 25 लाख का कारोबार हुआ है।

लॉकडाउन के बावजूद भी जल्द उभरे नरेंद्र

कोरोना के कारण लॉकडाउन से जहां पूरी विश्व की आर्थिकी चरमरा गई ,वही शुरू में नरेंद्र की आर्थिकी में भी फर्क पड़ा लेकिन जल्द ही कड़ी मेहनत व दृढ़ इच्छा शक्ति से इस नुकसान से बाहर आ गये। उनका कहना है कि मशरूम की मांग इतनी ज्यादा थी कि जल्दी ही उन्होंने इससे रिकवरी कर ली।

रोजगार ढूंढने और रोजगार देने तक का सफर

नरेंद्र बताते हैं कि शुरू में वह भी दूसरे युवाओं की तरह किसी कंपनी या होटल मैनेजमेंट के तहत काम ढूंढ रहे थ,े लेकिन सही समय पर उद्यान विभाग के सही परार्मश से आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। नरेंद्र बताते हैं कि अब उनके इस फार्म में 8 से 10 लोगों को सालभर के लिए रोजगार उपलब्ध है इसके अतिरिक्त फार्म के अन्य कार्यों के लिए लोगों को भी जरूरत के मुताबिक समय-समय पर रोजगार उपलब्ध होता है।

नरेंद्र बताते हैं कि इस सीजन में उन्होंने 28000 बैग मशरूम खाद के लगभग 12 सौ किसानों को वितरित किये और इन्हें खुम्ब क्षेत्र से जोड़ने का कार्य किया। नरेद्र का कहना है कि खाद और मशरूम की सप्लाई बिलासपुर जिला के साथ-साथ सोलन मंडी हमीरपुर ऊना आदि जिलों में हो रही है और कंपोस्ट की इतनी मांग है कि हम लोगों की इस मांग को पूरी नहीं कर पा रहे हैं। जहां तक ताजा मशरूम का सवाल है बिलासपुर मंडी के साथ सुंदर नगर, कुल्लू, मनाली, सोलन तथा शिमला की मंडियों से भी लगातार डिमांड आ रही है और अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी डिमांड अभी भी पूरी नहीं हो पा रही है।

कैसे बने बेस्ट मशरूम ग्रोवर अवार्ड ऑफ इंडिया

नरेंद्र बताते हैं कि उन्होंने ऑर्गेनिक मशरूम उत्पादन करने के बारे में सोची और ऑर्गेनिक मशरूम की डिमांड और मार्केट के मद्देनजर इसे अपने व्यवसाय बना दिया। आज उनके पास हाइटेक इंटीग्रेटेड यूनिट इन्डोर कंपोस्ट यूनिट जैसे आधुनिक मशीन है, जिसमें 13 दिनों के अंदर ही उत्तम गुणवत्ता वाली खाद तैयार हो जाती है जिससे बहुत अच्छी पैदावार होती है। इसके अतिरिक्त एक आधुनिक लैब भी स्थापित किया गया है। वर्ष 2000 और 21-22 के दौरान पुणे आईसीएआर डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर चंबाघाट सोलन द्वारा राष्ट्रीय स्तर का बेस्ट मशरूम ग्रोवर अवार्ड ऑफ इंडिया से नवाजा गया इसके अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय जम्मू से उन्हें न्वोन्मेशी किसान पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

मशरूम की खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सपना

नरेंद्र का कहना है कि अगर हिमाचल सरकार और उद्यान विभाग के द्वारा सहयोग और मार्गदर्शन लगातार समय-समय पर मिलता रहा तो मशरूम की खेती को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने का सपना है। वर्तमान में मशरूम की कई ऐसी प्रजातियां हैं, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत उपयोगी साबित हो रहे हैं जैसे कि री जड़ी मशरूम, सटाके मशरूम और ऋषि मशरूम इसके अतिरिक्त हैं। रेडियम काबुल डिग्री काला कनक पड़ा दूरियां पराली डींगरी इत्यादि ऐसे मशरूम हैं जिनकी भारी डिमांड है और जिसकी कीमत भी बहुत अधिक है। जिसे मेडिकल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। उनका अगला प्रयास मेडिकल मशरूम की क्षेत्र में कार्य करना है।

युवाओं से अपील

नरेंद्र का मानना है कि आज 21वीं शताब्दी मैं नौकरी ढूंढने के लिए नहीं नौकरी देने के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि इधर-उधर नौकरी के लिए भटकने की जगह किसी एक क्षेत्र में अपने स्किल डिवेलप करने की आवश्यकता है और हिमाचल सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं में मिल रहे अनुदान व जानकारियों के अनुसार अपना लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। आज प्रदेश को देश को नए एंटरप्रेन्योर्स की जरूरत है।

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