हिमाचल में खेल नीति को मंजूरी:ओलंपिक में गोल्ड जितने पर मिलेंगे तीन करोड़,खिलाड़ियों पर धन वर्षा

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आवाज़ ए हिमाचल

15 जनवरी।हिमाचल प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल ने स्वर्ण जयंती नई खेल नीति-2021 को लागू करने को मंजूरी दी है। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न विभागों में खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाकर तीन फीसदी होगा। डाइट मनी दोगुनी होगी। पुरस्कार राशि में भी बढ़ोतरी की जाएगी। ओलंपिक, शीत ओलंपिक, पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने पर तीन करोड़, सिल्वर पर दो करोड़ और कांस्य पदक विजेता को एक करोड़ रुपये मिलेंगे। खिलाड़ी के घायल होने पर एक लाख का बीमा कवर दिया जाएगा। 20 साल बाद नई खेल नीति लागू होते ही राजनेताओं को खेल संघों से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इनके स्थान पर खिलाड़ियों को पदाधिकारी बनाया जाएगा। इस नीति के तहत जहां प्रदेश में उच्च गुणवत्ता की खेल अधोसंरचना के विकास, रख-रखाव और उपयोग पर विशेष बल मिलेगा वहीं शैक्षिणक संस्थानों में खेलों को बढ़ाया मिलेगा।
खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के साथ साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और समर्थन प्राप्त होगा। इस नीति के उद्देश्य खेलों के दूरगामी विकास के दृष्टिगत प्रशिक्षण में वैज्ञानिक अनुसंधान को शामिल किया जाएगा। खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले महिला एवं पुरुष खिलाड़ियों को पुरस्कृत होंगे। नई खेल नीति को सरकारी और निजी क्षेत्र की भागेदारी से आगे बढ़ाया जाएगा। नई खेल नीति में खेल संघों को मजबूत करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। एक खेल के लिए एक ही संघ बनाने का इसमें सबसे बड़ा प्रावधान है। निष्क्रिय संघों की मान्यता रद्द की जानी है। हिमाचल प्रदेश की नई खेल नीति पर कैबिनेट की बैठक से मंजूरी इससे पहले दो बार टल चुकी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को खेल नीति का ड्राफ्ट सौंपा था। अनुराग ठाकुर ने नई खेल नीति में कुछ संशोधन करने के सुझाव दिए थे।


नई खेल नीति के अनुसार ओलंपिक, शीत ओलंपिक, पैरालंपिक गेम्स में गोल्ड हासिल करने वाले खिलाड़ी को तीन करोड़ रुपये देने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा सिल्वर मेडल वाले को दो करोड़, कांस्य मेडल वाले को एक करोड़ और गेम्स में भाग लेने वाले को 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसी तरह एशियन व पैरा एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ व पैरा कॉमनवेल्थ गेम्स और चार साल में होने वाले ओलंपिक के विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप या पैरा वर्ल्ड गेम में गोल्ड मेडल पर 50 लाख, सिल्वर पर 30 लाख और कांस्य मेडल पर 20 लाख रुपये का ईनाम मिलेगा।

वहीं, विश्व विश्वविद्यालय गेम्स व यूथ ओलंपिक गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने पर 10 लाख, सिल्वर पर छह लाख और कांस्य पर चार लाख, यूथ एशियन गेम्स व एशियन या कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स व सीनियर नेशनल चैंपियनशिप अथवा पैरा नेशनल खेल में गोल्ड पर पांच लाख, सिल्वर पर तीन लाख और कांस्य पर दो लाख दिया जाएगा। एसएएफ गेम्स में गोल्ड मेडल पर छह, सिल्वर मेडल पर चार लाख व कांस्य पर तीन लाख और नेशनल स्कूल गेम्स या खेलो इंडिया, ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी या खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट, नेशनल वुमेन स्पोर्ट्स फेस्टिवल और ऑल इंडिया रूरल स्पोर्ट्स टूनार्मेंट में गोल्ड जीतने पर एक लाख, सिल्वर जीतने पर 60 हजार व कांस्य पर 40 हजार का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।


ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर 10 लाख
नई नीति के अनुसार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर हिमाचल के खिलाड़ी को 10 लाख, प्रतिभाग करने पर दो लाख दिया जाएगा। साथ ही नॉन-ओलंपिक सीनियर नेशनल खेल व विशेष ओलंपिक (राष्ट्रीय) में गोल्ड पर तीन लाख, सिल्वर पर डेढ़ लाख और कांस्य पर एक लाख रुपये जबकि नॉन ओलंपिक जूनियर नेशनल में गोल्ड पर 50 हजार, सिल्वर पर 30 हजार और कांस्य पर 20 हजार, विशेष ओलंपिक वर्ल्ड गेम्स में गोल्ड जीतने पर 15 लाख, सिल्वर पर 10 और कांस्य पर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। किसी ओलंपिक इवेंट में नया विश्व रिकॉर्ड बनाने पर एक करोड़, एशियन या कॉमनवेल्थ गेम में रिकॉर्ड बनाने पर 50 लाख और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। वहीं, परशुराम या गुरु वशिष्ठ अवार्ड मिलने पर अब पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।


राज्य अभिमन्यु अवार्ड
– राज्य गुरु वशिष्ठ अवार्ड
– अवार्ड फॉर दिव्यांग

पहली बार मिलेंगी ये सुविधाएं
– ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्थ के पदक विजेताओं को मिलेगी पेंशन
– अर्जुन अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न प्राप्त अवार्डियों को देंगे मासिक वेतन
– मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल का गठन किया जाएगा
– गांवों से शहरों तक नए स्टेडियम बनाए जाएंगे, स्पोर्ट्स ट्रेनिंग डेस्टिनेशन बनाने का प्रस्ताव
– एथलीट को घायल होने पर एक लाख का बीमा कवर
– स्कूलों में फि जिकल एजूकेशन और खेलों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा
– एथलीटों को स्कूल – कॉलेजों की हाजिरी में विशेष छूट दी जाएगी
– दिव्यांग खिलाडि़यों के लिए साहसिक खेल किए जाएंगे शामिल

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