सरकार प्रशासन कोरोना महामारी में व्यस्त: उधर, मछली से मगरमच्छ बन गया खनन माफिया

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आवाज ए हिमाचल 

               स्वर्ण राणा, नूरपुर
28 मई। कहते है अगर विकासकार्यों को गति-प्रगति देने के लिए अगर प्रकृति का दोहन किया जाए तो वो लाज़िमी है बशर्ते वो नियमों को ताक पर रखकर न किया जाए,पर जब वही दोहन निजी स्वार्थ और सभी मापदण्डों को दरकिनार कर किया जाता है तो वे विनाश का कारण ही बनता है।ऐसा ही ज्वलंत विषय आज हम सबके सामने खड़ा है और वो है प्रदेश में हो रहे खनन का।सरकारों ने खनन को इजाजत दी है कि नियमों के आधार पर खनन किया जाए, जिससे विकास कार्यों को भी अमलीजामा पहनाया जाए और प्रकृति से छेड़छाड़ भी न हो,लेकिन आज के दौर में यह खनन अवैध खनन बनकर रह गया है।
अवैध इसलिए इसे कहा जायेगा कि जिस तरह बड़ी बड़ी मशीनों और पोकलेन से खड्डों और नदियों के सीने छलनी किये जा रहे है।उसे किसी भी रूप में वैध नहीं ठहराया जा सकता और यह कृत्य अवैध की श्रेणी में ही आता है।आज इसी अवैध खनन ने सड़कों पर बने पुलों,जलशक्ति विभाग की कई परियोजनाओं के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया।आज के समय में नूरपुर, इंदौरा,ज्वाली विधामसभाओं के साथ लगभग पूरे प्रदेश में ही इस अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है।बात करें कार्रवाई की तो ऐसा प्रतीत होता है कि शासन-प्रशासन भी इस खनन माफिया के आगे लाचार है या यूं कहें कि नतमस्तक है।क्योंकि अगर सरकार अपनी इच्छा शक्ति दिखाए तो वो इस पर लगाम लगा सकती है,लेकिन आज तक कई सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने भी वो इच्छा शक्ति नहीं दिखाई।उसी का परिणाम आज हमें इस रूप मे देखने को मिल रहा है जहाँ सुरसा के मुख की तरह यह खनन का अबैध कारोबार दिन प्रतिदिन विकराल रूप लेता जा रहा है।नूरपुर क्षेत्र की बात करें तो जहां कई क्रशर चक्की खड्ड में स्थापित है जो दिन रात इन खड्डों को सीना छलनी कर रहे है।यही
चक्की खड्ड जो इसके साथ लगती पंचायतों के लिए कभी जीवनदायिनी थी।इसी चक्की खड्ड के पानी से जहां कभी फसलें लहलहाती थी आज वही चक्की खड्ड अपनी हालत पर आंसू बहा रही है।खनन माफियाओं ने भारी मशीनरी से 20 से 25 फ़ीट तक गहरे गड्ढे कर दिए।दिन रात जहां हजारों ट्रक कच्चा माल।उठाते है।जहाँ कभी कुल्हें चलती थी आज वो खेत ही खड्ड से 20 फ़ीट ऊंचे पहुंच गए।इसी चक्की खड्ड में जलशक्ति विभाग की कई परियोजनाओं स्थापित है लेकिन लगातर जलस्तर गिरने से यह परियोजनाएं मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई है।जहां अवैध खनन पर कार्रवाई  की इजाजत सरकारों ने पुलिस,खनन विभाग के साथ लोक निर्माण विभाग,जलशक्ति विभाग और वनविभाग जैसे महकमों को भी दी है लेकिन क्या मज़ाल पुलिस और खनन विभाग के अलावा कभी किसी विभाग ने इस पर संज्ञान लिया हो।यही कारण है कि आज यह खनन माफिया एक मछली से मगरमच्छ बन गया है और अब कोई भी इस मगरमच्छ के मुंह मे हाथ नहीं डालना चाहता।
खन्नी क्षेत्र की बीडीसी सदस्य संदीप लता,भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष होशयार सिंह सहित कई महिला मंडलों और युवा मंडलों ने चक्की खड्ड में हो रहे अवैध खनन को लेकर शासन प्रशासन को कई बार चेताया,कई बार उनकी चौखट पर माथा रगड़ा लेकिन किसी के भी कान पर कोई जूं नहीं रेंगी।यह अवैध खनन पहले भी जारी था और वर्तमान में भी बदस्तूर जारी है।मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज कराने के बाद भी इनकी शिकायत का आज तक निवारण नहीं हो पाया है।इन स्थानीय लोगों की माने तो जब से कोरोना महामारी का दौर चला है तब से इस खनन माफिया ने अबैध खनन की रफ्तार को भी चौगुना कर दिया है।शायद इनको लगता है कि शासन प्रशासन जहाँ इस महामारी से निपटने में व्यस्त है तो यह माफिया चांदी कूट रहा है।खैर स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन से एक बार फिर गुहार लगाई है कि इस अबैध कारोबार पर रोक लगाई जाए और इनकी भूमि जो बंजर होने की कगार पर है उसे बचाया जाए।  एसडीएम नूरपुर सुरिंदर ठाकुर ने कहा कि प्रशासन समय समय पर अवैध खनन करने वालों पर कार्रवाई करता रहा है और वर्तमान में प्रशासन कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है, लेकिन फिर भी वो समय मिलते ही इन अवैध खनन माफियाओं पर शिकंजा कसेंगे।

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