सरकार किसानों की आय दुगनी करने का झूठा राग अलापती है- अशोक कटोच

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आवाज ए हिमाचल
5 अक्तूबर, पालमपुर: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी कांगड़ा ने प्रदेश की भाजपा  सरकार व ज़िला प्रशासन पर फतेहपुर इन्दौरा के किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया है और कहा है कि लगातार मांग करने के बावजूद इन इलाकों मे बान्छित पाँच खरीद केन्द्र नही खोले जा रहे हैं । जिला कमेटी कांगड़ा के सचिव अशोक कटोच ने प्रैस नोट जारी कर बताया कि ज़िला  कांगड़ा के फतेहपुर इन्दौरा के धान उत्पादक किसानों की धान की फसल तैयार होकर अब खराब भी होने को है लेकिन हिमाचल सरकार ने इन  की फसल की सरकारी खरीद के लिए ज़रूरी पाँच खरीद  केन्द्र अभी भी नही खोले हैं जबकि पिछले तीन सप्ताह से  सरकार किसानो को झूठे आश्वासनो से मात्र छलने का काम कर रही है।
ज़िस कारण इलाके के किसानो में प्रदेश सरकार  के प्रति भारी रोष व्याप्त है। इस इलाके के  किसानों ने हिमाचल किसान सभा के बैनर तले संयुक्त किसान संघर्ष समिती का गठन किया है जो धान की सरकारी खरीद के लिए आंदोलन के ज़रिए अपनी  मांगे उठा रहे हैं । 2 अक्तुबर 2021 को भी रयाली में 700 किसानो ने धरना दिया ज़िस में प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने भी किसानों को जल्द कार्यवाही का भरोसा दिया था लेकिन फिर भी कोई  कार्यवाही धरातल पर नजर नही आ रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ज़िला सचिव अशोक कटोच ने सरकार से सवाल किया कि पंजाब व हरियाणा में धान खरीद 3 अक्तुबर से शुरू हो गयी है तो प्रदेश सरकार , हिमाचल में खरीद का कोई प्रबन्ध क्यों नही कर रही है। क्या हिमाचल सरकार चाहती है कि हिमाचल के किसान  भी पंजाब व हरियाणा की भांति जन प्रतिनिधियों का घेराव शुरू कर दे तभी सरकार जागेगी ।
विदित है कि पंजाब  के  सीमावर्ती इन इलाकों के किसान विगत में अपनी फसल पंजाब की सरकारी मंडियों मे बेचते रहे हैं लेकिन अब  फसल बेचने पर पंजाब सरकार की पाबन्दी के बाद इनके  पास दूसरा कोई विकल्प नही बचा है है । कटोच ने कहा कि यह दुखदायी है कि हिमाचल देश का एकमात्र राज्य है ज़हां केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूँ मक्की व धान  की खरीद का कोई खरीद केन्द्र आज तक सरकार ने नहीं बनाया जिस कारण किसान अपनी फसल का लाभकारी मोल तो दूर,  न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी वंचित है । अशोक कटोच ने आरोप लगाया है कि सरकार किसानों की आय दुगनी करने का राग अलापती है ,
लेकिन सरकारी खरीद केन्द्र न होने के चलते इन्हें या तो औने पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ता है या बिना बिक्री के ही फसल घरों में पड़े पड़े ही बर्बाद  हो जाती है । मार्क्सवादी नेता ने मांग उठायी है कि ज़िला के पालमपुर, धर्मशाला, बैजनाथ, पंचरुखी व नगरोटा बगवां जैसे धान व गेहूँ उत्पादक  इलाकों में इन फसलों के सरकारी खरीद केन्द्र व चंगर  इलाकों  लम्बागांव, खुडिंयां व देहरा आदि में मक्की के खरीद केन्द्र खोले जायें, जहां किसान अपनी  फसल  सरकार को बेच सके । उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस दिशा में जल्द कदम न उठाये तो ज़िला के  किसान जगह जगह आंदोलन  करेंगे जिस की ज़िम्मेवारी सरकार पर  होगी ।

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