पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा का नाम वोटरलिस्ट से गायब

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आवाज ए हिमाचल 

14 जनवरी। पंचायत राज चुनावों की जारी वोटर लिस्ट में विकास खंड धर्मशाला के तहत पड़ती ग्राम पंचायत रक्कड़ की वोटर लिस्ट से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा का नाम ही गायब कर दिया है। ऐसे में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आती है कि अगर मंत्री स्तर के लोगों के ही नाम वोटर लिस्ट से गायब हैं तो आम जनता की क्या बात की जा सकती है। कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने इस संबंध में एक बयान जारी करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में हो रहे पंचायती राज चुनाव में मतदाता सूचियों में भारी धांधली देखने को मिली है। प्रदेश चुनाव आयोग और राष्ट्रीय चुनाव आयोग की सूचियों में भारी अंतर है लगभग हर पंचायत से सैकड़ों मतदाता सूची से ग़ायब हैं।

लगभग हर पंचायत से 50 से लेकर 250 वोट तक मतदाता सूची में नहीं है। चिंतनीय बात है कि जिन लोगों ने पिछले पंचायती चुनाव में मतदान किया है और पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान किया है और जिनके वोटर कार्ड भी बने हुए हैं वो मतदाता सूची से ग़ायब हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये एक सोची समझी चाल के तहत काम हुआ है और वोटर लिस्ट से नाम काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी रक्कड़ पंचायत से जिस लोगों से नाम मतदाता सूची से काटे गए हैं, उसमें अधिकांश मतदाता वो है जो कांग्रेस की विचारधारा से हैं। पिछले पंचायत चुनावों में मेरा ख़ुद का वोट और उसके बाद विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में मेरा नाम था लेकिन इस बार नई मतदाता सूची आयी है उसमें नाम ही काट दिया गया।

अदालत में याचिका दायर करेंगे

पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि इस सारे मामले को देखते हुए मैंने निर्णय लिया है कि उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर प्रदेश चुनाव आयोग से ये पूछा जाएगा कि विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची पिछले पंचायती राज चुनावों की मतदाता सूची और अबकी बार जो पंचायतीराज के चुनाव हो रहे हैं उस सूची में इतना बड़ा अंतर क्यों है ।

चुनावों को हाईजैक करने के आरोप

सुधीर शर्मा ने कहा कि अगर इसी प्रकार छल-कपट से प्रदेश सरकार पंचायती राज चुनावों को हाईजैक करना चाहती है तो चुनाव करवाने का औचित्य क्या है, सीधे-सीधे लोगों को नॉमिनेट कर दिया जाए। उन्होंने प्रजातंत्र में इस प्रकार का छल कपट पहली बार देखने को मिला है इतने बड़े स्तर की धांधली और वो भी पंचायती राज चुनावों में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव आयोग को इस के लिए अलग व्यवस्था करनी होगी वरना परिणाम गंभीर होंगे।

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