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जीडी शर्मा, राजगढ़। भारत भूमि की नारी की महिमा का व्याख्यान करना आसान नहीं है। यहां की नारी में भगवान शिव का आधा स्वरूप बसता है, इसलिए भगवान शिव अर्धनारीश्वर कहलाते हैं। महिलाओं में जो धैर्य और पीड़ा सहन करने की क्षमता है वह किसी पुरुष के बस की बात नहीं है। जीवन में सत्य आता है तो शिव का प्रवेश स्वत: ही हो जाता है। जैसे ही शिव का प्रवेश होता है वैसे ही मानव का जीवन सुंदर बन जाता है, इसलिए उन्हें सत्यम, शिवम्, सुंदरम् कहा गया है।
यह उद्गगार गंगोत्री धाम से डॉ. नन्दीश्वर महाराज ने शिरगुल मंदिर राजगढ़ में आयोजित शिवम हापुराण व चंडी महायज्ञ के व्यास पीठ से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यदि जीवन में धारण किया जाए तो शिव महापुराण से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है। उन्होंने कहा कि सनातन परम्परा श्रेष्ठ है। यह गंगा की तरह है जिसका मूल हिमालय है। जब तक सृष्टी रहेगी तब तक हिमालय रहेगा और जब तक हिमालय रहेगा तब तक गंगा रहेगी।
डॉ. नन्दीश्वर जी ने अखवारों व टीवी के मध्यम से विज्ञापन द्वारा लोगों की समस्याओं का निवारण करने वाले व्यवसायीयों से बचने का आहवान किया और कहा कि यदि लक्ष्मी यन्त्र से लोगों की दरिद्रता दूर होती तो कोई भी गरीब न रहता। उन्होंने शिव पार्वती विवाह के प्रसंग से उपस्थित भक्तजनों को भाव विभोर किया।