राजगढ़ शहर को आजादी के सात दशकों बाद भी नहीं मिल पाया अग्निश्मन केंद्र

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आवाज़ ए हिमाचल
              गोपाल दत्त शर्मा,राजगढ़
16 सितम्बर। आजादी के लगभग सात दशकों के बाद भी उपमंडल मुख्यालय राजगढ में  अग्निश्मन केंद्र नहीं खुल पाया है।क्षेत्र के लोग कई सालों से अग्निश्मन केंद्र खोलने की मांग कर रहे है,लेकिन किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।राजगढ़ शहर एक नगर पंचायत व 30 पंचायतों का केंद्र है,लेकिन अग्निश्मन केंद्र न होने के कारण आगजनी के दौरान यहां की सुरक्षा राम भरोसे ही है।अगर भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यह क्षेत्र काफी बड़ा है और कई किलोमीटर तक फैला है।क्षेत्र की सीमा एक और चौपाल उपमंडल के साथ धारटूखाडी व नेरीपूल में उपमंडल ठियोग के साथ जघेड में उप मंडल कुसुपंटी के साथ तथा गिरीपूल में उपमंडल कंडाघाट के साथ तथा छोगटाली में रेणुका उपंमडल के साथ लगती है।

यहां उपमंडल मुख्यालय राजगढ से जो सबसे नजदीकी अग्निश्मन केंद्र पड़ता है। वे लगभग 40 किलोमीटर दूर सोलन है।राजगढ उपमंडल के शेष स्थानों से सोलन की दूरी 50 से 100 किलोमीटर तक है,ऐसे में अगर कही आगजनी की घटना हो जाये तो सोलन से फायर ब्रिगेड की गाडी को पंहुचने के लिए 2 से 4 घंटे का समय लग जाता है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी देर में आगजनी की घटना में कुछ भी नही बच सकता। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में चीड के जंगलों की संख्या भी काफी अधिक है। यह चीड के जंगल आग लगने के दौरान क्षेत्र के लिए बारूद के ढेर साबित हो रहे है।

गर्मियो के दिनों में यहां इन जंगलो में अचानक आग भडक जाती है और जंगलो के साथ लगते बाग,फसल से लहलहाते खेत तथा कई बार तो  गौशालाओं व घरों तक को अपनी चपेट मे ले लेते है। इतना ही नही जंगलो में भी यह आग करोडो रूपये की वन संपदा के साथ साथ वन्य जीवो को भी खत्म कर देती है।ऐसे में अगर राजगढ उपमंडल मुख्यालय में अग्निश्मन केंद्र खुल जाए तो आगजनी से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। स्थानीय विधायक रीना कश्यप  के अनुसार लोगो यह मांग उनके ध्यान में है और इसे जोरदार तरीके से सरकार के समक्ष उठाया जा रहा है।जल्द ही इस मांग के पूरे होने की संभावना है।

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