हिमचाल सहित अन्य कई राज्यों भी में महसूस किए भूकंप के झटके

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आवाज ए हिमाचल 

13 फरवरी।  उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत में शुक्रवार रात करीब 10.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से लोग घबराकर घरों से बाहर निकल गए। भूकंप का कंपन प्रदेश के कई जिलों में महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार 5 मिनट की अवधि में दो भूकंप आए। मौसम विभाग के मुताबिक भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान रहा। ताजिकिस्तान में भूकंप की तीव्रता 6.3 रही। अभी तक भूकंप से किसी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं है।राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने शुरुआत में अफगानिस्तान और अमृतसर में भूकंप का केंद्र बताया, लेकिन जांच के बाद भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में निकला। रात 10.31 बजे आए भूकंप के झटकों की अवधि 40 सेकंड तक रही। झटके इतने तेज थे कि लोग घरों से बाहर निकल आए।

उत्तर भारत के कई राज्यों के साथ ही यूपी के गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा और आगरा में भी झटके महसूस किए गए। विश्व स्तरीय ज्योलॉजिस्ट और केंद्रीय प्रोजेक्ट पर काम कर रहे जम्मू यूनिवर्सिटी के प्रो. जीएम भट्ट ने कहा कि भूकंप का केंद्र जमीन में ज्यादा गहराई पर होने की वजह से इसका प्रभाव क्षेत्र भी बड़ा था। गहराई ज्यादा होने से नुकसान कम होता है। भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में बेहद विरली आबादी वाले क्षेत्र में था। प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है।

लखनऊ में भी महसूस हुए भूकंप के झटके
राजधानी के लोग जिस वक्त सोने की तैयारी कर रहे थे और बड़ी संख्या में लोग सो भी चुके थे, अचानक भूकंप की सूचना आई। कुछ लोगों ने चंद पलों के लिए रात 10.30 बजे के करीब भूकंप के झटके महसूस भी किए, वहीं बड़ी आबादी को झटके आने के बारे में फोन पर बातचीत या दोस्तों-रिश्तोदारों से तस्दीक करने पर पता चला।लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व भूगर्भशास्त्री डा. ध्रुव सेना का कहना है कि लखनऊ में भूकंप नहीं बल्कि इसके झटके आते हैं। यहां भूकंप के लिए  जिम्मेदार प्रक्रियाएं सुप्तावस्था में हैं इसलिए नेपाल, दिल्ली, हिमाचल  प्रदेश में आने वाले भूकंप के झटके यहां महसूस किए जाते हैं। इसी तरह यहां  जलोढ़ मिट्टी है, जो भूकंपीय तरंगों की मारक क्षमता को कम करती है। जिस तरह  से शॉकर गाड़ियों के झटकों को नियंत्रित करता है, उसी तरह से जलोढ़ मिट्टियां इसे रोकती हैं।

मेरठ में भी झटके मगर क्षति नहीं
भूकंप के झटके मेरठ में भी महसूस किये गए लेकिन किसी नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप से निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर असर नहीं  है। शताब्दी नगर में चल रहे रेपिड रेल निर्माण पर भूकंप का कोई असर नही पड़ा है। रात के समय भी एलएंडटी पिलर बनाने का कार्य चलता है लेकिन इंजीनियरों के मुताबिक कार्य करने पर कोई असर नही पड़ा है। हालांकि, आने वाले दिनों में मेरठ में भूमिगत टनल का कार्य शुरू होगा। अगर उस समय भूकंप आएगा तो चिंता की बात होगी। मेरठ की सीमा में रेपिड रेल, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे का कार्य लगभग पूरा हो गया है। लेकिन मोहिदद्दीनपुर में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिये पिलर स्ट्रक्चर का कार्य किया जा रहा है लेकिन यहां भी कोई नुकसान नही हुआ है। वहीं, शताब्दी नगर में रैपिड रेल के कास्टिंग यार्ड में विभिन्न मशीनें चलाई जा रही हैं लेकिन कोई नुकसान नही हुआ है।

आगरा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए
रात 10:40 बजे आगरा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। खंदारी ग्रीन कॉलोनी में सोते हुए लोग झटके से जाग गए और बाहर निकल आई। कमला नगर में भी भूकम्प का शोर मचा गया। इसके बाद लोग एक दूसरे को फोन कर बताने लगे।कावेरी विहार के रिटायर्ड रेलवे अधिकारी डीपी सिंह ने बताया, मैं सो रहा था, पलंग हिलने लगा, समझ गया कि यह भूकंप है, बाहर निकल आया। तभी भूकंप आने का शोर मचा और सभी लोग बाहर आ गए। कमल नगर के पंकज अग्रवाल ने बताया कि वे लेपटॉप पर काम कर रहे थे। अचानक लेपटॉप हिलने लगा।

 

 

 

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