हाइट ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन शाहपुर में दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित

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आवाज ए हिमाचल

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। हाइट कॉलेज शाहपुर में दो दिवसीय एफ डी पी का आयोजन किया गया इस आयोजन में सभी अध्यापकों और इस प्रोग्राम में विभिन्न विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों द्वारा अपना अनुभव साझा किया। इस प्रोग्राम में मुख्य विषय था “शिक्षा में इस्तेमाल की जाने वाली नई शैक्षिक तकनीक”इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर पवन ठाकुर जोकि राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला में एसोसिएट प्रोफेसर कंप्युटर साइंस विभाग में कार्यरत है उन्होंने मानवीय मूल्य शिक्षा के बारे में बताया उन्होंने यह बताया कि मानव मूल्य शिक्षा सर्वांगीण व्यक्तियों के निर्माण के महत्व को संबोधित करती है जो न केवल अकादमिक रूप से सफल हों, बल्कि उनमें एक मजबूत नैतिक और नैतिक क्षमता भी हो। यह छात्रों को आत्म-जागरूकता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता है जो आज के समाज में सफल होने के लिए आवश्यक हैं।

मानव मूल्य शिक्षा छात्रों को जिम्मेदार, दयालु और सहानुभूतिपूर्ण व्यक्तियों में ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। मानव मूल्य शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने में शिक्षकों और स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों को एक सर्वांगीण शिक्षा मिले जो जीवन भर उनकी अच्छी सेवा करेगी।

द्वितीय सत्र में डॉ प्रवीण शर्मा जोकि एसोसिएट प्रोफेसर कम प्रिंसिपल, द्रोणाचार्य कॉलेज में कार्यरत है उन्होंने उन्होंने शिक्षण में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक के बारे में बताया कि शिक्षक विभिन्न प्रकार के शिक्षा तकनीक के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाई जा सकती है

इस कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रथम सत्र में डॉ. सचिन अवस्थी जो कि राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला मे कार्यरत, द्वितीय सत्र में उप प्रधानाचार्य गुरमीत राजकीय महाविद्यालय राजोल ने अपने विचार साँझा किए।

इस कार्यक्रम में वैल्यू एजुकेशन के साथ-साथ नई शिक्षा नीति 2020 पर भी विचार सांझा किए गए इसमें यह बताया गया कि हमें न सिर्फ शिक्षा पर बल्कि हमें मूल्यत्मक शिक्षा और व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसमें शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है जो कि शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे कार्यक्रमों में भागीदारी से संकाय सदस्यों को अपने शोध और शैक्षणिक कौशल को अद्यतन करने में मदद मिलेगी।

 

 

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