सिरमौर में अदरक के नहीं मिल पा रहे उचित दाम, किसान परेशान

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आवाज़ ए हिमाचल

गोपाल दत्त शर्मा,राजगढ़

19 जनवरी।किसान अपने खतों में इस उम्मीद से जी तोड़ मेहनत करता है कि एक दिन उसकी मेहनत रंग लाएगी और वे अपना खून पसीना एक करके उगाई गई पैदावार के अच्छे दाम पाएगा।मगर सोचिए क्या बीतता होगा ऐसे मेहनती किसानों पर जब उन्हे अपनी पैदावार के अच्छे दाम मिलना तो दूर उनके द्वारा लगाई गई लागत भी पूरी न हो सके ।

ऐसा ही कुछ हुआ है जिला सिरमौर के अदरक उत्पादकों के साथ,पिछले दो सालों से किसानों को खेतों में लगाए जाने वाले अदरक की फसल ने काफी निराश किया है। हालांकि उनके खेतों में अदरक की पैदावार तो बहुत अच्छी हुई है। मगर मंडियों में उनको उचित दाम नही मिल पा रहे हैं ।

खेतों से तो उन्होंने अपनी फसल को तो निकाल दिया है,मगर इसे मंडी में नही भेज पा रहे हैं। कारण है कि जिस समय उन्होने इसका बीज खरीदा था तो उन्हे इसका बीज 150 रूपये किलो मिला था और अब अदरक के दाम उन्हे 15 से 20 रूपये प्रति किलो मिल रहे हैं।इतना ही नही अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में घर पर स्टोर की गई अदरक का वजन भी सूख कर कम हो गया है, जो किसान की चिंता को और बढ़ा रहा है।


अदरक उत्पादन के लिए मशहूर सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के किसान इस बार इस प्रमुख नगदी फसल के वाजिब दाम न मिलने से मायूस है। जिला के कृषि विकास खंड संगड़ाह, शिलाई, पच्छाद व राजगढ़ के काफी हिस्सों में आज भी अदरक किसान परिवारों की आय का मुख्य साधन है। पिछले चार दशक में अदरक बार-बार सड़न रोग की चपेट में आने से भी किसानों को काफी नुक्सान हुआ और इस साल दाम न के बराबर होने से किसानों की कमर टूट चुकी है।‌


गौरतलब है कि सिरमौर में करीब 1800 हेक्टेयर भूमि पर अदरक उत्पादन होता है। कोरोना काल के बाद पिछले दो वर्षों से अदरक के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसानो का कहना है कि , इस वर्ष हालांकि फसल अच्छी हुई है मगर दाम न के बराबर है।
किसानों का कहना है कि, इतने कम दामों में तो मेहनताना, मजदूरी व भाड़ा भी पूरा नही हो रहा है और दवाइयों खाद, गोबर, बीज का खर्च जेब से भरना पड़ रहा है। हर साल आम तौर पर जनवरी,फरवरी व मार्च माह में अदरक के दाम 40 रूपये किलो तक पहुंच जाते है, इसलिए किसान फसल का भंडारण खाची कहलाने वाले पारम्परिक स्टोर में करने लगे हैं। 20 फुट तक गहरे भूमिगत खाची स्टोर में यह फसल 4 से 5 माह तक सुरक्षित रह सकती है तथा दाम बढ़ने के इंतजार में किसान ऐसा करते हैं। अदरक के स्थानीय खरीदारो का कहना है कि इस बार बैंगलोर के अदरक की मांग ज्यादा होना तथा सिरमौर में इस फसल का पर्याप्त उत्पादन कीमत कम होने के मुख्य कारण समझे जा रहे है।

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