राजगढ़ में लोगों को जान जोखिम में डाल करनी पड़ती है नदी पार 

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आवाज़ ए हिमाचल
                गोपालदत्त शर्मा ( राजगढ़  )

13 अक्तूबर । भले ही सरकारे चहुमुंखी विकास के दावे करती हो मगर आज भी कुछ क्षेत्र या गांव ऐसे हैं जो विकास से कोसों दूर है इसी कड़ी राजगढ़ विकास खंड की ग्राम पंचायत करगाणू के जजाह गांवों के लोग आज भी अपनी जान जोखिम में डाल कर झुले के सहारे नदी पार करते हैं, बच्चों को स्कूल जाना हो या मासूमों को आंगनबाड़ी केंद्र , शादी ब्याह हो या मरीजों को अस्पताल ले जाना हो क्षेत्र के लोगों के लिए एकमात्र सहारा है लोहे की मोटी से तार पर चलने वाला एक लोहे का झूला है। लोग शोक से इस झूले से नदी को पार नहीं करते बल्की ऐसा करना इनकी मजबूरी है जरा सी चूक हुई तो लोगों की जान पर बन आती है।

कई बार तो लोग यहां हादसों का शिकार भी हुए हैं क्योंकि इनके पास नदी पार करने का दूसरा कोई साधन नही है । इतना ही नही यहां के पशु अगर गलती से नदी के दूसरे किनारे पर पहुंच जांए तो उन बेजुबानों को भी घर वापसी से लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है तब जा कर वे दूसरे किनारे पर पहुँच पाते हैं । हिमाचल का विकास करने का दावा करने वाली सरकारे चाहे व भाजपा की हो या कांग्रेस की मगर इन लोगो को पुल की सुविधा नही दे पाई है अगर कोई भी नेता इस जगह की स्थिति आकर देख ले तो हुक्मरानों को पता चल जाएगा कि एक पुल न होने की वजह से यहां के लोग किस तरह अपनी जान को खतरे डाल कर रोजाना इस झुले से नदी को पार करते हैं । अब सवाल ये उठता है कि एक पुल न होने की वजह से यदि यहां कोई बड़ा हादसा हो जाता है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा।

बाईट बेली देवी 

वहीं स्थानीय निवासी बेली राम का कहना है कि वे कई बार पहले भी सरकारों से पुल की मांग कर चुके है मगर अभी तक पुल का निर्माण नही हुआ है वहीं हमारे गांव से पहली से ले कर बाहरवीं कक्षा तक के बच्चे है जब वे स्कूल जाते हैं इस झुले से तो हमे बड़ी चिंता रहती है और रोजाना किसी न किसी को बच्चों को स्कूल छोड़ने व लाने के लिए यहां झुले के पास खड़ा रहना पड़ता है वही महिलाओ और बच्चों को तो इसमे काफी समस्या आती है हम सरकार से मांग करते हैं कि यहां जल्द से ज्ल्द एक पुल का निर्माण किया जाए।

बाईट गीता देवी 

वहीं स्थानीय गीता देवी ने बताया कि महिलाओं को तो इस झुले मे सफर करने मे काफी परेशाी का सामना करना पड़ता है अगर कोई सामाना बाजार से लाना हो और और वो सामान भारी हो तो अकेली महिला तो इस झुले की रस्सी को खींच भी नही पाती फिर किसी के आने का इंतजार करना पड़ता फिर कही जा कर नदी पार की जाती है स्थानीय करगाणू पंचायत के प्रधान विद्यानंद शर्मा का कहना है कि इस गांव की भौगोलिक स्तिथि ऐसी है कि यह गांव नदी के उस पार है और इस गांव को सडक से जोडने का प्रयास किया जा रहा है और अगर नदी पर पुल बनाने की बात करे तो अगर पैदल पूल भी बनाना हो तो लगभग एक करोड का वजट का प्रावधान चाहिये क्युकि नदी की चोडाई काफी अधिक है लगभग सौ मीटर लबे पूल का निर्माण यहा करना पडेगा फिर भी प्रयास जारी है ।

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