पहाड़ों की परिक्रमा पर निकली एक साहित्यिक मित्र जोड़ी

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आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला से संबंधित एक साहित्यिक मित्र जोड़ी आज-कल प्रदेश के आठ जिलों के दूर-दराज एवं पहाड़ी क्षेत्रों की परिक्रमा पर निकली हुई है। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त करने वाले रमेश चन्द्र मस्ताना एवं प्रशासनिक अधिकारी प्रभात शर्मा पिछले दिनों से सुखद एवं विकट दोनों प्रकार की परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने अभियान पर निकले हुए हैं।

कांगड़ा से हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और शिमला पहुंचने के उपरांत जो यात्रा रामपुर बुशहर से किन्नौर जनपद के मुख्यालय रिकांगपियो के लिए शुरू हुई, उसमें पहाड़ों एवं नदियों के अद्भुत सौन्दर्य का आनन्द तो मिला साथ ही न्युगलसरी में सड़क के धंसने से परेशानी भी काफी हुई।

रिकांगपियो मुख्यालय में प्रभात शर्मा के शुभचिंतक प्रशासनिक अधिकारी एवं एसी टू डीसी संजीव कुमार बोध ने जो गर्म-जोशी से स्वागत किया, उसने सारी थकावट व परेशानी दूर कर दी। उसके बाद प्रातः कैलाश पर्वत के दर्शन से उनके मन को अपार आनन्द की अनुभूति हुई।

वे बतातें हैं कि शिमला से आगे किन्नौर एवं हिमाचल के शीत मरुस्थल स्पीति व लाहौल घाटी की यात्रा क्योंकि जीवन की पहली यात्रा थी, इसलिए काजा से लेकर अटल टनल की यात्रा बहुत ही विस्मयकारी व रोमांचक अनुभव हुई। शीत मरुस्थल के पहाड़ कई गाथाएं सुनाते दिखाई दिए तो यह जानकर अतीब ही विस्मय हुआ कि काजा के मूल बौद्ध सम्प्रदाय में केवल और केवल बड़े बेटे का ही पैतृक सम्पत्ति पर स्वाधिकार होता है। बाकी आगे की सन्तानें बौद्ध-भिक्षु अथवा बौद्ध-चूमों बनकर ही गुजारा करती हैं। काजा से अटल टनल की यात्रा में रंगरीक, लोसर और फिर कुंजम टाॅप ने बहुत अभिभूत किया। कुंजम के उपरांत छतड़ू, ग्राम्फू और कोकसर और तांदी पहुंचने पर सूरज ताल से आती हुई भागा के संगम को नमन कर चन्द्रभागा के स्वरूप के दर्शन कर कैलांग पहुंच गए। इसके उपरांत त्रिलोकीनाथ होते हुए उदयपुर पहुंचे और वहाँ उपमंडल अधिकारी (न) से मुलाकात की।

दूसरे दिन पांगी-घाटी में प्रवेश करने पर घाटी की आस्था मिन्धल माता के दर्शनों के बाद खब्बल उच्च विद्यालय में हिन्दी दिवस मनाने के क्रम में पहले विद्यार्थियों और फिर अध्यापकों के साथ संवाद स्थापित किया। इस उपरांत घाटी की सबसे दुर्गम और विकट चस्क-भटोरी व मूरच्छ की कठिन यात्रा भी की। बाद में पांगी-घाटी के मुख्यालय किलाड़ और शिक्षण संस्थाओं एवं कुछ अन्य स्थानों का भ्रमण करने के बाद यह साहित्यिक मित्र जोड़ी साच पास के रास्ते चम्बा पहुंच कर वापिस कांगड़ा पहुंचेगी।

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