परवाणू में सड़कों पर आवारा भटक रहा गौवंश,सड़े सेबों का मलबा व शहर का कचरा खाने को मजबूर

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आवाज़ ए हिमाचल

सुमित शर्मा,परवाणू

23 सितंबर।औद्योगिक नगरी परवाणू व इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गौवंश की सुध लेने वाला कोई नहीं है।यहां गौवंश सड़े गले सेब का मलबा व कूड़ा कर्कट खा कर बीमार पड़ रहे है।आए दिन कही न कही गोवंश मृत पड़ा मिलता है, लेकिन इस बारे कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। हालांकि नगर परिषद द्वारा गौशाला बनाई गई है, लेकिन वे इतनी छोटी है की वहां सभी गोवंश को रखना मुमकिन नहीं है।


गौरतलब है की परवाणू शहर व साथ लगती टकसाल पंचायत में सैंकड़ों की संख्या में आवारा घूमते हुए बेमौत मर रहे है। कई वर्ष बीत जाने के बाद भी गौवंश की रक्षा व गौशाला बनाने का कार्य आज तक पूरा नहीं हुआ।यहीं कारण है की भारतीय संस्कृति में माता कहलाए जाने वाले गौवंश शहर की गंदगी खाकर मरने के लिए विवश है। वही, पशु पालक भी गाय के दूध देना बंद कर देने के बाद उन्हें लावारिस छोड़ देते है, ऐसी कई टैग लगी गाय शहर में घूमती देखी जा सकती है।
मिली जानकारी के अनुसार टकसाल पंचायत को गौशाला बनाने के लिए 2018-19 में पिछली पंचायत के समय लगभग 12 लाख का फंड आया हुआ है, आज तक केवल भूमि कटान पर पांच लाख रूपए व्यय हुए और उसके बाद गौशाला निर्माण का मामला ठन्डे बस्ते में पड़ा हुआ है। आज तक गौशाला का पूरी तरह निर्माण नहीं किया गया है।


उधर, टकसाल पंचायत के सचिव पवन ठाकुर का कहना है की अम्बोटा में गौशाला निर्माण का कार्य किया जा रहा है और अब तक पांच लाख की लागत से भूमि कटान कर ज़मीन को समतल किया गया है । सचिव पवन ठाकुर ने कहा की गौशाला का शेड बनाने के लिए लोहे के ऐंगल व चादरे खरीदी जा चुकी है।
धर्मपुर के बीडीओ मुकेश कुमार ने कहा कि टकसाल पंचायत में जो गौशाला बनाई जानी है,उसका पूरा लेखा जोखा व वर्तमान स्थिति को जांच कर जल्द ही गौसदन का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
टकसाल पंचायत के उपप्रधान नीरज शर्मा ने बताया की बरसात की वजह से गौशाला का कार्य रोक दिया था, जैसे ही बारिशें खत्म होती है गौशाला का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया जायेगा।

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