इसरो के हाई रेजोल्यूशन कैमरों से होगी कृत्रिम झीलों की निगरानी, अध्ययन करने में जुटा हिमकॉस्ट

Spread the love

आवाज ए हिमाचल
09 फरवरी।ग्लोबल वार्मिंग और अन्य पर्यावरणीय कारणों से हिमालय के तिब्बत सीमा से लगते ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बन रहीं कृत्रिम झीलों पर अब इसरो के एलआईएसएस 4 सैटेलाइट के हाई रेजोल्यूशन कैमरे की मदद से नजर रखी जाएगी। हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में ग्लेशियरों के पिघलने की वजह से लगातार बन रही इन झीलों पर नजर रख रहे हिमकॉस्ट के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने कहा कि छोटी झीलों से खास खतरा नहीं है, लेकिन पांच हेक्टेयर से ज्यादा बड़ी झीलें हिमाचल के लिए बड़ा खतरा हैं।


इन झीलों की मैपिंग की जाती है, लेकिन अब इसरो के आधुनिक कैमरों की मदद से 5.8 मीटर तक के इलाके का डाटा मिल सकेगा। इससे निगरानी रखने में और आसानी होगी। उन्होंने कहा कि सतलुज, चिनाब और ब्यास बेसिन पर लगातार बन रहीं इन झीलों की निगरानी कर भारतीय क्षेत्र में आपदा प्रबंधन प्लान बनाने के लिए डाटा सरकार के साथ साझा किया जाएगा। इसमें तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र में बन रहीं झीलों पर भी नजर रखी जाएगी, ताकि वहां से अगर किसी झील से खतरा हो तो उसको लेकर भी बचाव के प्रबंध किए जा सकें।

घेपंग गठ झील का असेसमेंट पूरा
हिमकॉस्ट के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. एसएस रंधावा ने कहा कि हाल ही में हिमकॉस्ट ने हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में स्थित जीपंग गठ ग्लेशियर से बनी अति संवेदनशील घेपंग गठ झील का विस्तृत अध्ययन किया है। इसमें झील के उन क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां पर झील फट सकती है। साथ ही झील के फटने से किन क्षेत्रों को नुकसान पहुंच सकता है, इसका भी अध्ययन किया गया है। कहा कि अब ऐसी सभी झीलों की लगातार निगरानी की जाएगी, जिससे उत्तराखंड जैसी त्रासदी हिमाचल में न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *