HPU में अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को मंजूरी, बीच में पढ़ाई छोडऩे पर अब वेस्ट नहीं जाएगी डिग्री

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आवाज़ ए हिमाचल

शिमला। हिमाचल प्रदेश विवि में छात्रों के लिए ऑडिट बैंक ऑफ क्रेडिट शुरू होगा। एचपीयू ने यूजीसी के नियमों के तहत इस सत्र से नई शिक्षा नीति को लागू करने का फैसला किया है। मंगलवार को अधिष्ठाता अध्ययन आचार्य कुलभूषण चंदेल की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति की बैठक हुई। गौर रहे कि एडीबी एक वर्चुअल स्टोर-हाउस है, जो हर स्टूडेंट का डाटा का रिकॉर्ड रखेगा। इसके लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद वहां पढऩे वाले हर स्टूडेंट का डाटा स्टोर होना शुरू हो जाएगा। यदि कोई स्टूडेंट बीच में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे टाइम पीरियड के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री दी जाएगी।

फस्र्ट ईयर पास करने पर सर्टिफिकेट, सेकेंड ईयर पास करने पर डिप्लोमा और तीन साल या कोर्स पूरा करने पर डिग्री दी जाएगी। यह कमर्शियल बैंक की तरह काम करेगा। स्टूडेंट इसके कस्टमर होंगे।एकेडमिक बैंक में स्टूडेंट का अकाउंट खोला जाएगा। इस योजना का फायदा किसी भी इंस्टीट्यूट का छात्र उठा सकता है।

शर्त सिर्फ इतनी है कि इंस्टीट्यूट ने अपना रजिस्ट्रेशन इस स्कीम के तहत कराया हो। अलग-अलग संस्थानों में सभी कोर्स नहीं होते, इसलिए किसी भी इंस्टीट्यूट को इसमें शामिल होने की छूट दी गई है। स्टूडेंट को सर्टिफिकेट, डिग्री या डिप्लोमा बैंक में जमा हो रहे क्रेडिट के आधार पर मिलेंगे। इससे स्टूडेंट को अपने हिसाब से पढ़ाई पूरी करने की इजाजत मिलेगी। स्टूडेंट के पास यदि पुराने रिकॉर्ड जमा हैं तो वह पढ़ाई छोडऩे के बाद कभी भी दोबारा शुरू कर सकता है।

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