धर्मशाला में 128वीं जयंती पर याद किए मास्टर मित्रसेन थापा   

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आवाज ए हिमाचल 

ब्यूरो, धर्मशाला।  जाने माने साहित्यकार, कवि, संगीतज्ञ व नाटककार मास्टर मित्रसेन थापा की 128वीं जयंती धर्मशाला के भागसू सदन गोरखा भवन श्यामनगर में धूमधाम के साथ मनाई गई। जयंती पर मास्टर मित्रसेन साहित्य संगीत सभा भागसू धर्मशाला द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार व कवि डॉ. गौतम शर्मा व्यथित ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि कर्नल जीबी थापा व हिमाचल प्रदेश गोरखा ऐसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र सिंह राणा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मास्टर मित्रसेन साहित्य संगीत सभा की अध्यक्षा साधना नेपाली ने की।उन्होंने मुख्यातिथि व अतिथियों का स्वागत किया तथा मास्टर मित्र सेन साहित्य संगीत सभा बारे जानकारी लोगों के समक्ष रखी।कार्यक्रम की शुरुआत में मास्टर मित्रसेन की प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

इस दौरान विशेष तौर पर कवि व साहित्य सम्मेलन का आयोजन भी किया गया, जिसके हिमाचल प्रदेश के जाने माने कवियों व साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुतियां देकर मास्टर मित्रसेन को याद किया तथा श्रद्धांजलि दी।

कवि सम्मेलन के दौरान प्रसिद्ध लेखिका व कवि चंद्ररेखा डढ़वाल, डॉ प्रत्यूष गुलेरी, पूर्व एचएएस अधिकारी प्रभात शर्मा, डॉ वायके डोगरा, रमेश चन्द्र मस्ताना, लक्ष्मीनारायण, ईश्वर सिंह थापा, सूर्या विजय, बबिता ओबराय, प्रवीण मेहता ने हिंदी पहाड़ी में अपनी कविताएं व गजलें प्रस्तुत की।कार्यक्रम के दौरान मास्टर मित्र सेन थापा की कला, साहित्य, भजन-गीत, नाटकों व समाज के लिए प्रदान किए गए योगदान को याद किया गया।

मुख्यातिथि डॉ. गौतम शर्मा व्यथित ने मास्टर मित्रसेन थापा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा साहित्य, संगीत व समाज को प्रदान किए गए योगदान को अतुलनीय बताते हुए नमन किया। उन्होंने इस दौरान उन्होंने मास्टर मित्रसेन साहित्य संगीत सभा भागसू धर्मशाला के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि सभा की अध्यक्ष साधना नेपाली द्वारा आयु के इस पड़ाव में भी हर साल मास्टर मित्र सेन की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करवाना सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि मास्टर मित्र सेन थापा ने अपनी देह जरूर त्याग दी है, लेकिन वे आज भी अपनी कविताओं,गीतों,नाटकों के जरिए जीवित है। उन्होंने जिस तरह से अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है वे आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति से जुड़े रहने वाले लोग हमेशा आगे बढ़ते हैं, ऐसे में इस तरह का कार्यक्रम होना समाज के लिए बेहतरीन कदम है।इस मौके पर रिटायर्ड मेजर हेमंत कुमार गुंरग ने मास्टर मित्रसेन थापा की जीवनी के बारे जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान नेपाली,हिंदी भाषा में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर मास्टर मित्र सेन को याद किया।

 

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