हिमाचल के विकास कार्यों को जल्द मिलेगी वन मंजूरी, सुक्खू सरकार की नई व्यवस्था

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आवाज़ ए हिमाचल

शिमला। हिमाचल प्रदेश के विकास परियोजनाओं को जल्द वन मंजूरी मिलेगी। प्रदेश में स्कूल, सड़कें और अन्य ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं, जहां वन विभाग की जमीन है। समय रहते वन मंजूरी नहीं मिलने से विकास कार्यों में बधाएं उत्पन्न हो रही थीं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि एफसीए और एफआरए मामलों को जल्द अपलोड करने के लिए सरकार ने नई व्यवस्था की है। जिला स्तर पर डीसी और डीएफओ वाली कमेटी की हर 15 दिन में बैठक करेगी। जिला स्तर की कमेटियां यूजर एजेंसी के साथ बैठकर मामलों को फारेस्ट क्लीयरेंस (वन मंजूरी) के लिए अपलोड करेंगी। दस्तावेज एकत्र करने का काम यूजर एजेंसी का होगा। अगर समय पर केस अपलोड होंगे तो उनको मंजूरियां भी समय पर मिलेंगी। पहले समय पर केस अपलोड नहीं हो रहे थे, जिससे इनकी मंजूरियां भी लटक रही थीं।मुख्यमंत्री ने यह जानकारी विधानसभा प्राइवेट मेंबर डे पर विधायक राजेश धर्माणी की ओर से लाए गए संकल्प प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में दी। धर्माणी ने सदन में वन भूमि पर बिना वन मंजूरी की बनी सड़कों और भवनों को एक मुश्त छूट देने का संकल्प प्रस्ताव लाया।

सीएम ने कहा कि सरकार ने केंद्र के अधीन काम कर रही एक निजी कंपनी को हायर किया है। सभी विकासात्मक परियोजनाओं के लिए पूरी मंजूरी दिलाने की जिम्मेवारी इस एजेंसी की होगी। इसके अलावा एफआरए मामलों को डील करने के लिए सरकार ने अलग से एक अरण्यपाल की तैनाती की गई है। सरकार की पहल से अब सुप्रीम कोर्ट ने एफआरए के केसों की मानीटरिंग करना बंद कर दिया है। अब एफआरए कमेटियां ही इन केसों को फाइनल कर रही हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि 1980 से पहले बने भवनों, सड़कों आदि पर वन संरक्षण कानून लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले के बने भवनों आदि के लिए इसकी मंजूरी जरूरी नहीं है। वन संरक्षण कानून 1980 में लागू किया गया था। ऐसे में इससे पहले के भवनों आदि पर लागू नहीं होता है। इन मामलों को साइट पर अपलोड किया जाएगा, इसमें कुछ पेनल्टी लगेगी।मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिमाचल में करीब 2183 सड़कें वन भूमि पर बनाई गई हैं जिनके लिए वन मंजूरियां नहीं ली गईं। इन सभी की अलग से मंजूरियां लेनी होंगी। इसी तरह अन्य विभागों के तहत बनी सड़कों को भी एफसीए के तहत मंजूरी लेनी पड़ेगी। भूमिहीनों को घरों के लिए तीन बिस्वा जमीन देने की सरकार की नीति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन लोगों को पुल से जमीन देने पर विचार कर रही है।

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