रिपोर्ट: देवभूमि में मांस खाने का चलन घटा; दूध का बढ़ा सेवन, अध्यात्म की ओर रुझान

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोग शाकाहारी होने लगे हैं। यहां मांस खाने का चलन घट गया है, जबकि दूध का सेवन बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वाभाविक रूप से जनसंख्या बढ़ोतरी के अनुपात में मांस खाने वाले घट रहे हैं। मांग कम होने से मांस की पैदावार भी घट रही है। यह खुलासा राज्य सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अध्ययन में हुआ है। विभाग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के आंकड़ों को आधार बनाया है।

हिमाचल में दूध से सालाना 6,324 करोड़, मांस से 182, गोबर से 118, अंडे से 55 करोड़ की आय हुई है। वहीं, प्रदेश क लोगों ने भेड़ की ऊन और पशुओं के बाल से एक साल में 57 करोड़ रुपये कमाए हैं। पिछले वर्षों से तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2019-20 में मांस का उत्पादन 4,763 टन था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 4,500 मीट्रिक टन रह गया। अगर 12 साल पहले वित्त वर्ष 2012-13 की बात करें तो उस समय मांस का उत्पादन 3,966 टन था। हिमाचल की जनसंख्या बढ़ोतरी को देखें तो 12 साल में मांस के उत्पादन में यह वृद्धि नाममात्र की है। दूध की उपलब्धता 12 साल पहले यानी 2012-13 में 455 से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 650 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। यह साल दर साल बढ़ ही रही है।

दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की डाइटिशियन अंजना शर्मा ने बताया कि लोगों के पास आज बहुत विकल्प हैं। इससे प्रोटीन की मात्रा आसानी से मिल जाती है। आजकल की भागदौड़ में लोगों का रुझान अध्यात्म की ओर जा रहा है, इसलिए भी लोग परहेज कर रहे हैं। अब पशुपालन की प्रवृत्ति लोगों में कम हो रही है। मांस की खरीद भी महंगी हो रही है, इससे भी कमी आई है। नई पीढ़ी का टेस्ट चटपटे खाने की ओर बढ़ गया है।

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