भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ ही शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा शुरू

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आवाज़ ए हिमाचल

15 अक्टूबर।देवी-देवताओं का महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुक्रवार को ढालपुर मैदान में शुरू हो गया। कोरोना महामारी के खौफ को दरकिनार कर दशहरे में इस बार आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। दो साल बाद दशहरे में देव मानस मिलन का अनूठा नजारा देखने को मिला। सैकड़ों लोगों ने भगवान रघुनाथ का रथ खींचकर पुण्य कमाया। कुल्लू दशहरा में इस बार 200 से अधिक देवी-देवता शामिल हुए हैं।
रथयात्रा में 100 देवताओं ने हिस्सा लिया। अन्य देवता अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान रहे। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दशहरा उत्सव का विधिवत शुभारंभ किया। इससे पहले दोपहर दो बजे तक सुल्तानपुर में रघुनाथ के दरबार में देवी-देवताओं के हाजिरी लगाने का सिलसिला जारी रहा। तीन बजते ही देवता ढालपुर मैदान में आना शुरू हो गए। देवताओं ने यहां भगवान रघुनाथ के रथ के साथ देवमिलन किया और अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए।
तीन बजे के बाद भगवान रघुनाथ भी सुल्तानपुर से ढालपुर के लिए रवाना हुए। 4:25 बजे भगवान रघुनाथ जैसे ही लाव-लश्कर और देवता बिजली महादेव, वीरनाथ, ज्वाणी महादेव सहित अन्य देवताओं के साथ ढालपुर मैदान पहुंचे तो यहां मौजूद हजारों लोगों ने जय श्रीराम के जयघोष लगाए, जिससे पूरा कुल्लू गूंज उठा। इसके बाद भगवान रघुनाथ को रथ पर बिठाया गया।
जैसे ही सामने वाली पहाड़ी से माता भुवनेश्वरी (भेखली माता) का इशारा मिला, 4:59 बजे रघुनाथ का रथ भी चल पड़ा। 15 मिनट बाद भगवान रघुनाथ अपने अस्थायी शिविर में पहुंचे। यहां सात दिन तक भगवान की सुबह-शाम पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाएगी। उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि दशहरे में 200 से अधिक देवी-देवता पहुंचे हैं।

धुर विवाद के चलते पुलिस के पहरे में रहे देवता शृंगा ऋषि और बालूनाग 

भगवान रघुनाथ के एक ओर चलने को लेकर सालों से चल रहे धुर विवाद के चलते शृंगा ऋषि और देवता बालूनाग पुलिस के पहरे में रहे। दोनों देवताओं को रथयात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई।

 

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