बीबीएन के उद्योग जगत ने दो दशक के प्रस्तावित मास्टर प्लान की उठाई मांग

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एक छत के बैनर तले आए बीबीएन के आधा दर्जन उद्योग संगठन

 

 

आवाज ए हिमाचल 

शांति गौतम, बददी। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न उद्योग संगठनों ने शनिवार को बददी में प्रेस वार्ता के दौरान आपदा के दौरान आ रही दिक्कतों का बखान किया वहीं सरकारों से अनुरोध किया कि वो आने वाले दो दशकों को सामने रख कर विकास व अधोसंरचना का खाका तैयार करे। आपदा में जिस प्रकार एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बददी बरोटीवाला चारों तरफ से पुल टूटने व सडकें ध्वस्त होने से टापू बन गया उससे उद्योग जगत को जहां करोडों रुपये का नुक्सान झेलना पड़ा वहीं कमजोर आधारभूत ढांचे की भी पोल खुल गई। अंतरराष्ट्रीय उद्योग संगठन फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री के बैनर तले यह संयुक्त प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें लघु उद्योग भारती, हिमाचल दवा निर्माता उद्योग संघ, बीबीएन पैकेजर्स एसोसिएशन, प्रदेश अग्रवाल सभा, नालागढ़ उद्योग संघ, बददी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, एफआईआई, संयुक्त व्यापार मंडल व हिम औद्योगिक कल्याण सभा के प्रतिनिधिनयों ने भाग लिया। एचडीएमए के चेयरमैन सतीश सिंगला ने कहा कि इस आपदा ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। सरकारों को बीबीएन के विकास के लिए 20 साल का खाका खींचना चाहिए कि हमें चाहिए क्या और किस चीज की हमें जरुरत है। यहां पर ग्रेटर नोयडा व मोहाली गमाडा की तरह क्षेत्र का विकास होना चाहिए। आज प्रदेश के कारखानों की 50 फीसदी प्रोडक्शन बंद है जबकि सरकार को यहां से पूरे हिप्र का 27 प्रतिशत राजस्व जाता है। अग्रवाल सभा के प्रदेशाध्यक्ष सुमित सिंगला ने कहा कि जब बीबीएन में सरकारों ने वो सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं कराई जो कि उद्योगों व मानव के विकास को जरुरी है तो यहां रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाता और लोग चंडीगढ़ से अप डाऊन करते हैं। आज बददी के दोनो पुल आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त है तो हरियाणा के दोनो पुल भी खंडित हो चुके हैं। ट्रांसपोर्ट बंद है जिससे रोजाना 400 करोड रुपये का नुक्सान इंडस्ट्रीज को उठाना पड रहा है। स्टील एंड इंजीनियरिंग इंडस्ट्री के संचालक संजय बतरा ने कहा कि यह कडवा सच है कि बददी में औद्योगिक ढांचे के रुप में ज्यादा कुछ विकसित नहीं हो पाया है। जितना सरकारें दिखाती है और बखान करती है वैसा कुछ भी नहीं है। बददी में बीबीएनडीए ने 25 साल के लिए मास्टर प्लान बनाया था लेकिन दुख है कि उस पर 5 फीसदी भी काम नहीं हुआ। हम टैक्स देते हैं तो सुविधाएं, अच्छी सडकें,पुल व कनेक्टिविटी मिलना हमारा अधिकार है लेकिन मंत्रियों व मुख्य मंत्रियों के भाषणों में जो दावे होते हैं वो इससे इतर होते रहे हैं। बीस सालों यही हुआ है। संयुक्त व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष संजीव कौशल ने कहा कि बीबीएन में पुलों का ध्वस्त होना जिला प्रशासन व राज्य सरकार का फेलियर था। प्रशासन ने बरसात की पूर्व तैयारियों पर ध्यान नहीं दिया और न ही पुल के पिल्लरों की स्थिति जांची। अवैध खनन के कारण भी यह सब विनाश हुआ।

हिम औद्योगिक कल्याण सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलवीर जमवाल ने कहा कि सभी सरकारों ने बददी को सिर्फ आर्थिक राजधानी बना कर रखा और राज्य सरकारें कभी भी इस एरिया के प्रति संवेदनशील नहीं रही। सरकारों ने बददी का सिर्फ शोषण किया है जबकि इनको पोषक होना चाहिए था। सिर्फ पयर्टन व उद्योग की वजह से हिमाचल की विश्व पटल पर पहचान है और उद्योग की दिक्कतों के प्रति 20 साल से सरकारें निष्ठुर रही हैं। बीबीएन के विकास के लिए कोई विशेष प्लान बने वरना हर बरसात में यूं ही पुल गिरते रहेंगे। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष अशोक राणा ने कहा कि 2003 में प्रदेश को औद्योगिक पैकेज मिला था लेकिन अब समस्त रियायतें समाप्त हो चुकी हैं और कारखाने दूसरे राज्यों में पलायन करने की सोच रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो यहां पर बेरोजगारी बढेगी। यहां के उद्योगों का हाल जानने अभी तक कोई मंत्री या बडा अधिकारी नहीं आया। आज बददी टापू बन गया है और हमें कच्चे माल के लाल्ले पड गए हैं। लेबर को बैठे हुए वेतन देना पड रहा है। गत्ता उद्योग संघ के अध्यक्ष हेमराज चौधरी ने कहा कि आपदा की सबसे ज्यादा मार पैकेजिंग उद्योग पर पड़ी है। हमारा लेबर आधारित काम है लेकिन कामर्शियल वाहन एक हफता बंद रहे। सरकारों ने समय रहते वैकल्पि मार्ग व बाईपास क्यों नहीं बनाए। लघु उद्योग भारती बरोटीवाला के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बोलते हैं कि आपदा को अवसर में बदलना चाहिए लेकिन जब तक हमें सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो विकास कैसे होगा। मेरा स्वयं का उद्योग 6 दिन से बंद पडा हुआ। फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष चिरंजीव ठाकुर ने कहा कि इस आपदा में फार्मा उद्योगों को बहुत बुरी मार पडी है। हमें कच्चा माल ही नहीं मिल रहा है जो कि अन्य प्रांतो से आता है। नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कार्यालय सचिव राजेंद्र राणा ने कहा कि नालागढ एरिया में भी कुछ पुल गिरे हुए हैं और हमारे क्षेत्र के उद्योग जगत की स्थिति सही नहीं है। नालागढ़ एरिया को कोई पूछ नहीं रहा है। आखिर हमारे पुल व सडकें इतने कमजोर क्यों है।

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फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री के प्रदेश संगठन मंत्री रणेश राणा ने कहा कि सरकार को बीबीएन में वैकल्पिक मार्ग के रुप में कंटेनर डिपो रोड को जगातखाना मिलाना चाहिए और इसी रोड को नवांनगर से जोडना चाहिए। बददी के लिए अलग से बाईपास ईजाद हो। झाडमाजरी टूल रुप से भटौली कलां पुल व मार्ग बनना चाहिए। हिमाचल से होते हुए मंधाला गुनाई परवाणु रोड डवल लेन बने। यह कार्य इसी बजट में डलने चाहिए ताकि तीन चार में पूर्ण हो सके।

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