जो पप्पू पहले बिना किसी के सहारे एक कदम भी चल नहीं पाता था, अब वह अन्य साथियों की मदद करता है। कहावत है कि कलियुग में जहां मुसीबत पड़ने पर खून के रिश्ते दगा दे जाते हैं वहीं किसी और से उम्मीद रखना व्यर्थ होता हैं लेकिन हकीकत है कि जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है, और ईश्वर किसी न किसी रूप में अपनी जीव की सहायता करने के लिए पहंुच ही जाता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसका दुनिया में कोई नहीं है और दुर्भाग्य ऐसा कि न तो इसे आंखों से दिखाई देता है और न ही यह बोल पाता है और न ही चल फिर सकता है। एक जगह पड़ा है तो सो गया, मांगने के लिए भी आवाज भी साथ नहीं देती। साठ वर्षीय पप्पू जिसका कोई ठौर ठिकाना नहीं था, की सूचना जब दयोली में मानव सेवा ट्रस्ट के बैनर तले चल रहे वृद्धाश्रम यानि अपना घर के स्टाफ को मिली तो वृद्धाश्रम की टीम उसे रैस्क्यू करने के लिए स्वारघाट की ओर रवाना हुई।
सड़क के किनारे पड़े इस व्यक्ति को उठाया गया तथा घागस लाया गया। यहां पर अपना घर के स्टाफ ने इनकी तिमारदारी शुरू की। जिला अस्पताल में मनोरोग चिकित्सक के सानिध्य में जब ट्रीटमेंट चली तो यह व्यक्ति धीरे-धीरे चलने फिरने लग गया। अब पप्पू स्वयं डायनिंग हाॅल तक जाता है तथा खाना भी खुद खाता है। जिला अस्पताल में ट्रस्ट के संस्थापक प्रकाश बंसल ने इस व्यक्ति की आखों को लेकर नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. निशांत वर्धन से बात की तो चिकित्सक महोदय को उम्मीद की किरण नजर आई। उन्होंने आपरेशन द्वारा पप्पू की आंखों में रोशनी लौटाने की आशा व्यक्त की। ऐसे में आंखों में पड़ने वाले लैंस तथा अन्य दवाईयों का तमाम खर्च जिला अस्पताल के भीतर फेडरेशन की दवाईयों की दुकान के संचालक एवं समाजसेवी भीष्म कुमार शर्मा ने उठाया।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. निशांत वर्धन ने पप्पू की आंख का आपरेशन किया और वास्तव में चमत्कार हुआ है, पप्पू की आंख की रोशनी लौट आई है। डा. निशांत वर्धन ने बताया कि इस मरीज की कोई केयर नहीं हुई तथा हो सकता है कि आंखों की बीमारी बढ़ते बढ़ते अंधेपन तक पहंुच गई हो, प्रयास सफल रहे। अब पप्पू अपना घर में खुश है तथा अपने सहयोगियों तथा अन्य स्टाफ सदस्यों को पहचानने लगा है। पप्पू के चेहरे की खुशी के आगे सब कुछ फीका है। ईश्वर के सुंदर संसार को देखकर पप्पू बहुत प्रसन्न है। यही नहीं अपना घर के स्टाफ सदस्यों के व्यवहार एवं प्रेम के कारण पप्पू धीरे-धीरे बोलने की कोशिश भी करने लगा है। वहीं अपना घर के स्टाफ की मानें तो आपरेशन के बाद पप्पू के जीवन में जबरदस्त बदलाव आया है। वृद्धाश्रम के प्रबंधक रवि चैहान की माने तो अब पप्पू की उना से आए नए सदस्य के साथ काफी मित्रता हो गई है।
पप्पू अब अन्य सदस्यों की भी हैल्प करता है। उसकी आवाज में स्पष्टता आ रही है। उल्लेखनीय है एक साल पूर्व शुरू हुए इस वृद्धाश्रम ने कई बेसहारा तथा अपनों द्वारा दुत्कारे बुजुर्गों को आश्रय दिया है। वर्तमान में 21 लोग यहां सुख चैन से बसर कर रहे हैं। ट्रस्ट सदस्यों द्वारा इन बुजुर्गों को पूरा ध्यान रखा जाता है। खाना, पीना, दवाई, मैडीकल चैकअप आदि हर जरूरत का विशेष ध्यान रखा जाता है। संस्थापक प्रकाश बंसल की माने तो अभी यह वृद्धाश्रम केवल ट्रस्ट तथा जनता के सहयोग से चल रहा है। सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई भी सहायता नहीं मिलती है। हालांकि जिला सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार इस वृद्धाश्रम का निरीक्षण सर्वे आदि किया जा चुका है, यही नहीं विभाग द्वारा कई आब्जेक्शन भी लगाए गए।
जिन्हें ट्रस्ट द्वारा पूर्ण भी कर दिया गया है लेकिन अभी तक इस ओर सरकार ने कोई मंजूरी नहीं मिली है जबकि यहां पर सदस्यों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। वहीं पप्पू की इस खुशी को स्टाफ सदस्यों में शामिल रवि कुमार, दिव्या, नेहा सहित अन्य मौजूद रहे। दयोली में मानव सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित वृद्धाश्रम यानि अपना घर में रहने वाले सभी सदस्यों का उनके अपनों से ज्यादा ख्याल रखा जाता है। ऐसे में पप्पू की आंखों की रोशनी का लौटना किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। पप्पू के चेहरे पर खुशी के भाव लाने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. निशांत वर्धन, मनोरोग चिकित्सक डा. महेंद्र, समाजसेवी भीष्म कुमार शर्मा तथा अपना घर के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। विजय कुमार प्रवक्ता मानव सेवा ट्रस्ट सुंदरनगर।