आवाज़ ए हिमाचल
16 नवंबर।बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA की सरकार ने एक बार फिर शपथ ले ली है।नीतीश ने 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।वह लगातार चौथी बार सीएम बने हैं। उनके साथ 14 और मंत्रियों को राज्यपाल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।पटना के गांधी मैदान में हुए शपथ समारोह में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्ड भी मौजूद थे।
*इन्हें मिला मंत्री पद मिला है
विजेंद्र यादव : विजेंद्र बिहार की सुपौल विधानसभा से आठवीं बार विधायकी जीते हैं।जेपी आंदोलन से बिहार में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले विजेंद्र यादव 1990 के बाद से सुपौल में कभी नहीं हारे।राजनीति की शुरुआत जनता पार्टी से की थी, फिर जदयू में आ गए।नीतीश के करीबी लोगों में से हैं। उनकी पिछली सरकार में आबकारी और ऊर्जा जैसे विभाग संभाल चुके हैं।
अशोक चौधरी : नीतीश की पिछली सरकार में भवन निर्माण मंत्री थे। पिछले साल यानी 2019 में ही अशोक चौधरी को जद(यू) का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था।प्रदेश में जद(यू) की चुनावी रणनीतियों का अहम हिस्सा रहे हैं। इस बार के चुनाव में सकरा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है।हालांकि जीत का अंतर काफी कम था।महज 1537 वोट। 2015 में ये सीट आरजेडी को मिली थी।
विजय चौधरी : विजय कुमार चौधरी सरायरंजन सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।विजय कुमार पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष थे।2010 से लेकर 2015 तक बिहार में मंत्री भी रहे हैं।कृषि, सूचना और जल संसाधन जैसे मंत्रालय संभाले हैं। इस बार फिर उन्हें मंत्रालय में शामिल किया गया है।
शीला मंडल : फुलपरास से पहली बार विधायक बनीं और पहली बार में ही मंत्री भी बन गईं।2015 में इस सीट से जेडीयू की गुलजार देवी जीती थीं। पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय लड़ने का फैसला किया। टिकट मिला शीला मंडल को, और जीत भी।उन्होंने कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को करीब 11 हजार वोट से हराया।
तारकिशोर प्रसाद : कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।वे बिहार के उप मुख्यमंत्री भी होंगे। इससे पहले उन्हें बीजेपी के विधानमंडल दल (विधानसभा और विधान परिषद) का नेता भी चुना गया था।64 साल के तारकिशोर प्रसाद 2005 से कटिहार से जीतते आ रहे हैं।अबकी लगातार चौथी बार विधायक बने हैं।तारकिशोर का बैकग्राउंड RSS वाला रहा है।वो कलवार वैश्य समाज से आते हैं, जिसे बिहार में पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है साथ ही उनकी व्यापारिक वर्ग में अच्छी पकड़ मानी जाती है।
रेणु देवी : बेतिया से विधायक हैं रेणु देवी।रेणु देवी भी उप मुख्यमंत्री होंगी। यानी राज्य को इस बार दो डिप्टी सीएम मिले हैं।उन्हें विधानमंडल दल का उपनेता चुना गया था।रेणु देवी पहली बार 2000 में बेतिया से विधायक बनी थीं।अबकी लगातार पांचवीं बार यहां से जीती हैं।इनका भी संघ से जुड़ाव रहा है।केंद्र से भी इनका अच्छा तालमेल माना जाता है।पहले भी राज्य में मंत्री पद संभाल चुकी हैं।
मंगल पांडेय : मंगल पांडेय बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।पिछली सरकार में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे। कोरोना काल में राज्य में जिस तरह की अव्यवस्थाएं रहीं, उनके चलते मंगल पांडेय की काफी आलोचना हुई थी। लेकिन पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताते हुए फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाई है।
अमरेंद्र प्रताप सिंह : BJP से अमरेंद्र प्रताप सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ली. वे पहली बार मंत्री बने हैं।अमरेंद्र आरा से चौथी बार विधायक चुने गए हैं।पहले चर्चा थी कि अमरेंद्र प्रताप को स्पीकर की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन जब नंदकिशोर यादव ने मंत्री बनने से मना कर दिया तो इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
रामप्रीत पासवान : राजनगर सीट से जीतकर डॉ. रामप्रीत पासवान विधानसभा पहुंचे हैं।उन्होंने राजद के राम अवतार पासवान को हराया था। 2015 में भी रामप्रीत इसी सीट से जीते थे।हालांकि उससे पहले 2010 में उन्हें हार मिली थी।
जीवेश मिश्रा : जीवेश मिश्रा इसी साल ख़ासी चर्चा में आए थे, जब अप्रैल में वो लॉकडाउन तोड़कर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गए थे।जाले विधानसभा सीट से विधायक हैं।पिछली बार भी यहीं से जीते थे।
रामसूरत राय : औराई विधानसभा से 45 हजार से भी ज्यादा वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।पिछले चुनाव में रामसूरत राय को आरजेडी के सुरेंद्र कुमार के हाथों करीब 11 हजार वोटों से हार मिली थी। इस बार सुरेंद्र कुमार को आरजेडी का टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय मैदान में उतर गए।इन सभी समीकरणों का रामसूरत राय को फायदा मिला और जोरदार जीत हासिल की।
HAM से संतोष कुमार सुमन : बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके जीतनराम मांझी के बेटे हैं संतोष।इस बार जब हम से एक मंत्री बनना तय हुआ तो जीतन राम मांझी ने बेटे का नाम आगे किया।संतोष राजनीति शास्त्र से एमए हैं। पीएचडी भी की है।फिलहाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।
वीआईपी से मुकेश सहनी : विकासशील इंसान पार्टी यानी VIP के मुखिया।सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट से सहनी चुनाव हार गए।हालांकि अब चूंकि मंत्री पद की शपथ दिलाई जा चुकी है, तो वे जल्द ही विधान परिषद सदस्य बन सकते हैं। हालांकि सहनी की पार्टी का प्रदर्शन ठीक रहा। इस बार एनडीए के साथ 11 सीटों पर उनकी पार्टी लड़ी थी। जिसमें 4 सीटें उनके खाते में गईं।