आवाज ए हिमाचल
15 मई। सुरक्षाबलों ने युद्ध के मैदान के लिए तैयार किए अपने नर्सिंग स्टाफ को अब कोविड-19 महामारी से मुकाबले के लिए मैदान में उतार दिया है। उनसे कहा गया है कि वे राज्य सरकारों की चिकित्सा व्यवस्था से तालमेल बनाकर कार्य करें।इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (मेडिकल) की उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि यह खास प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ अस्पतालों में सेवा कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं को भी सिखाएगा कि बीमार के लिए सबसे पहले क्या जरूरी है। किन तरीकों से महामारी से बेहतर ढंग से लड़ा जा सकता है।
तीनों सेनाओं ने उपलब्ध संसाधनों को बेहतर ढंग से इस्तेमाल के लिए ऑप्स को-जीत अभियान चलाया हुआ है। इसके तहत नर्सिग स्टाफ को कोविड केयर सेंटर में तैनात कर महामारी को भगाया जा रहा है।बैटिलफील्ड नर्सिंग असिस्टेंट (बीएफएनए) को मुख्य रूप से युद्ध की स्थितियों में स्वास्थ्य सुविधाओं को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस दौरान उन्हें इंजेक्शन लगाने, श्वांस लेने के लिए जरूरी एक्सरसाइज कराने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। कोविड के दौरान यह प्रशिक्षण बहुत काम आ रहा है।तीनों सेनाएं महामारी से लड़ने के लिए अपने कर्मियों और संसाधनों की मदद राज्य सरकारों को दे रही हैं जिनका इस्तेमाल कर वे नागरिकों की जान बचा सकें।
लेफ्टिनेंट जनरल कानितकर ने कहा, इस समय जरूरत इस बात की है कि सामाजिक संगठन आगे आएं और अपने कार्यकर्ताओं की मदद से मरीजों के सेवा कार्य को आगे बढ़ाएं। ये लोग टेस्टिंग के कार्य में भी मदद दे सकते हैं। इन लोगों को प्रशिक्षण देने में बीएफएनए मदद कर सकता है। हम ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं कि कुछ लोग 25 मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी संभाल सकें।