छात्रवृत्ति घोटाला, सीबीआइ करेगी दो और गिरफ्तारियां

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आवाज़ ए हिमाचल 

17 फरवरी।265 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ दो और व्यक्तियों की गिरफ्तारियां करेगी। आरोपित बबीता राजटा के भाई राकेश घास्टा, अरविंद राजटा के भाई अविनाश राजटा अब जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए हैं। घोटाले में सीबीआइ ने पंद्रह फरवरी को तीन आरोपितों की गिरफ्तारी की थी। इनमें कृष्ण कुमार, राजदीप सिंह और बबीता राजटा शामिल हैं। दो मोहाली क्षेत्र से तो महिला को शिमला से पकड़ा गया था। इन तीनों के कई ठिकानों पर दबिश भी दी गई थी। कृष्ण कुमार के घर में सिरसा में, राजदीप सिंह के घर खरड़ में दबिश दी थी। इस दौरान इनके कब्जे से कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए। तीनों ही आरोपित नौ संस्थानों  में पार्टनर हैं।

बैंक अधिकारियों से की पूछताछ

सीबीआइ ने बैंक अधिकारियों से पूछताछ की है। इलाहाबाद बैंक के एक प्रबंधक से पूछताछ चल रही है। उन्हें बुधवार को पूछताछ के लिए तलब किया गया था। कुछ और अधिकारी अभी और तलब किए जाएंगे। पांच बैंकों के कई अधिकारियों, कर्मियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। आरोप है कि बैंकों से 30 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति इनकी मिलीभगत से तीन आरोपितों ने डकारी है।

कौन हैं राजटा

अरविंद राजटा छात्रवृत्ति घोटाले का सबसे मास्टर माइंड रहा है। वह दो चार्जशीट में आरोपित रहा है। छात्रवृत्तियों का ज्यादातर हिस्सा वही हड़प गया है।

दो चार्जशीट हो चुकी हैं दाखिल

छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर अब तक दो चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। दूसरी चार्जशीट पंजाब के नवांशहर स्थित केसी ग्रुप ऑफ इंस्ट्रीट्यूट के खिलाफ थी। इसमें हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों, बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी, इस निजी संस्थान के कर्ताधर्ताओं समेत कुल 11 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया। पहली चार्जशीट में कुल 12 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया था।

क्या है घोटाला

2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को 56.35 करोड़ छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप में हुई है।

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