आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
17 जनवरी।आज के समय में ठोस कचरा सभी के लिए आफत बना हुआ है और किसी के पास भी इसके समाधान का कोई विकल्प नही है।इसी समस्या का विकल्प स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों ने गुरु के मार्गदर्शन से निकाला है।जिससे जहां पूरे गांव का कचरा भी खत्म होगा और आधुनिक मल्टीपर्पस ईंटे भी बन जायेगी। जो वजन में बहुत हल्की , देखने में आकर्षक और काफी मजबूत है।
वजन में हल्की होने के कारण इन मल्टीपर्पस ईंटो का इस्तेमाल कहीं पर भी बड़ी आसानी से किया जा सकता है। मॉडल बनाना हो या टाइल की जगह इस्तेमाल करना हो यह मल्टीपर्पस ईंटे हर जगह इस्तेमाल हो सकती है।
बिलासपुर जिला के शिक्षा खंड स्वारघाट के राजकीय प्राथमिक पाठशाला दगडाहण के छात्रों ने यह कमाल कर दिखाया है।इस पाठशाला के नन्हे मुन्हे बच्चों ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया है, जिसके बारे में किसी ने सोचा तक नही था।पाठशाला के बच्चो ने आज के समय की प्रमुख समस्या ठोस कचरे का समाधान करके दिखाया , जिसकी हर तरफ तारीफ़ हो रही है। इन बच्चों ने कुरकुरे , चिप्स इत्यादि के खाली पैकेट , प्लास्टिक की खाली बोतलों , बाल पेन इत्यादि के कचरे से प्लास्टिक की ईंटे बनाई जोकि काफी मजबूत है और यह मल्टीपर्पज है।
इस बारे में जानकारी देते हुए जिला परियोजना अधिकारी व डाईट के प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक पाठशाला दगडाहण स्कूल प्रबंधन समिति और पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से वर्ष 2017- 18 से लगातार गांव तथा पंचायत को कचरा मुक्त बनाने के लिए प्रयास कर रही है, इसके तहत वे हर वार्ड में जाकर कचरा इकठा करते। इस तरह कचरा तो एकत्रित हो गया पर उसके समुचित निपटान का कोई हल नही निकला, जिसकी बजह से जगह- जगह प्लास्टिक के कचरे की बोरियों के ढ़ेर लग गए।राकेश पाठक ने बताया कि 15 अगस्त 2021 को बिलासपुर उपायुक्त ने डाईट जुखाला को दिशा निर्देश दिए कि पायलट बेस पर जिला की दस पाठशालाओ में ठोस कचरा प्रबंधन चलाया जाए।
जिसके लिए दगडाहण स्कूल का चयन किया गया। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करते हुए पाठशाला के बच्चो ने अध्यापको के दिशा निर्देश में कई प्रकार के क्रियाक्लाप किए।इस दौरान उन्होंने प्लास्टिक की ईंटे बनाने में सफलता हासिल की।बच्चो ने यह ईंटे कुरकुरे , चिप्स , टॉफी , पोलीथिन के पुराने लिफाफे , पानी की खाली बोतले , बॉल पेन , रिफिल तथा अन्य प्रकार के प्लास्टिक के सामान से बनाई है।इन बच्चो ने 12X6X4 सेमी साइज़ की मल्टीपर्पस इन्टे बनाई।बच्चों ने प्लास्टिक के कचरे को एक बर्तन में गैस हीटर पर 200c तक गर्म किया, जिससे वह पिघल गया जिसके बाद उसे लोहे या लकड़ी के बने सांचे में डाला और 15 मिनट तक ऐसे ही ठंडा होने के लिए छोड़ दिया।
ठंडा होने के बाद इस प्लास्टिक ने टस आकर ले लिया और कचरे से मजबूत मल्टीपर्पस इन्ट बन कर तैयार हो गई। यह मल्टीपर्पस ईंटे वजन में काफी हल्की और मजबूत है। इन मल्टीपर्पस ईंटो का इस्तेमाल स्कूल में ही कई तरह से किया जा रहा है।पाठक ने बताया कि टीएलएम के रूप में इन मल्टीपर्पस ईंटो को रंग करके प्राथमिक कक्षाओ के बच्चो को रंगों की जानकारी , घन घनाव विषय तथा गिनती सिखाने का काम किया जा रहा है।
वहीँ विभिन्न प्रकार के रंगों से रंगने के बाद इन्हें आकर्षक रूप दिया गया है। जिसके बाद विभिन्न परकार के मॉडल बनाने तथा फूलो और पौधो की रक्षा के लिए जंगले के रूप में भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह मल्टीपर्पस ईंटे काफी मजबूत है, जिसकी वजह से इनका इस्तेमाल सड़क में टाइल की जगह और दिवार इत्यादि में इन्टो की जगह किया जा सकता है।इन मल्टीपर्पस ईंटो को आपस में जोड़ने के लिए स्क्रू का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसकी सहयता से इन्हें आसानी से आपस में जोड़ा जा सकता है।
राकेश पाठक ने बताया कि हमारे आसपास जो भी ठोस कचरा होता है वह सारा का सारा कचरा मल्टीपर्पस इन्टे बनाने के काम आ सकता है।इस स्कूल के बच्चो ने अध्यापको के सहयोग से लगभग 20 मल्टीपर्पस इन्टो का निर्माण किया,जिससे पुरे गांव से एकत्रित किया गया कचरा समाप्त हो गया।यदि इस प्रोजेक्ट में थोड़ा और कार्य किया जाए और निर्माण विधि में उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो यह ठोस कचरे के निष्पादन में बहुत कारगर सिद्ध होगा।
पायलट बेस पर दगडाहण स्कूल में ठोस कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट चलाया गया था, जिसमे काफी सफलता मिली है। इस स्कूल के छात्रों ने अध्यापको के मार्गदर्शन में काफी अच्छा काम किया है।
राकेश पाठक प्रधानाचार्य डाईट एवं जिला परियोजना अधिकारी