आवाज़ ए हिमाचल
05 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में मार्केट फीस एक्ट 2005 को तुरंत प्रभाव से रद्द करे, ताकि प्रदेश के व्यापारियों को राहत मिल सके। अगर सरकार जल्द ही इस काले कानून को रद्द नहीं करती है, तो हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल को उग्र आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। यह बात हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल की रविवार को ऊना में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेशाध्यक्ष सुमेश कुमार शर्मा ने कही। सुमेश शर्मा ने कहा कि मार्केट फीस एक्ट का सीधा संबंध केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के साथ है। जब केंद्र सरकार ने ये तीनों कृषि कानून पास किए थे, तो मार्केट फीस अपने आप ही बंद हो गई थी, लेकिन किसानों के विरोध स्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने इन बिलों को कुछ समय के लिए होल्ड करने के आदेश जारी किए हैं। इसके कारण हिमाचल प्रदेश में सरकार ने फिर से व्यापारियों से मार्केट फीस वसूलना शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि माननीय अदालत ने तीनों कृषि कानून लागू करने का फैसला होल्ड रखा है न कि तीनों बिलों को रद्द कर दिया है। इसलिए प्रदेश सरकार को राज्य में मार्केट फीस एक्ट 2005 को लागू नहीं करना चाहिए।
सुमेश शर्मा ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने से व्यापारियों पर 133 विभिन्न आइट्मों पर एक से लेकर पांच फीसदी तक मार्केट फीस भरनी पड़ेगी। वहीं इसका रिकार्ड रखने के लिए मुनीमों व अकाउटेंट का खर्चा अलग से है। इससे व्यापारी आर्थिक बोझ के तले दब जाएगा। इसके अलावा सरकार हिमाचल व्यापार मंडल द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों को व्यापारी कल्याण बोर्ड में शामिल करे। इस अवसर पर महामंत्री राकेश कैलाश, सरजीवन, राज कुमार गुप्ता, प्रवीण कौशल, वेद प्रकाश शर्मा, गोविंद ठाकुर, सुरेश बजाज, अमरनाथ शर्मा, महिपाल संख्यान, राजेश खन्ना, इकबाल सिंह, रविंद्र अरोड़ा, कपिल पुरोहित, कैलाश डमटाल, हेमंत शर्मा, देवराज, राजिंद्र, संजीव कौशल सहित अन्य व्यापारी उपस्थित रहे। तीन वर्ष में कारोबारी कल्याण बोर्ड की एक भी बैठक न होने पर प्रदेशाध्यक्ष काफी नाराज दिखे। उन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि वे बैठकों में अवश्य भाग लें और अपने सुझाव रखें। सुमेश शर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। जिला बार बैठकें आयोजित कर व्यापारियों के साथ-साथ युवा वर्ग को साथ जोड़ा जाएगा। इसके अलावा कोर कमेटी का भी गठन किया जाएगा।