आवाज़ ए हिमाचल
17 अप्रैल। गंगा स्नान के जरिए कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बना हुआ है। वैज्ञानिकों को गंगा बेसिन क्षेत्र में महामारी के विकराल स्वरूप लेने की चिंता सताने लगी है। महामना मालवीय गंगा नदी विकास एवं जल संसाधन प्रबंधन शोध केंद्र बीएचयू के चेयरमैन व नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने आम जनता से अपील की है कि वह आगामी 15 दिनों तक गंगा स्नान से दूरी बनाकर रखें।
उन्होंने नमामि गंगे के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर यह मांग की है कि वह गंगा बेसिन क्षेत्र में अलर्ट जारी करें। प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक कोरोना वायरस की दवा पूरी दुनिया में नहीं है। अभी तक गंगाजल द्वारा कोरोना वायरस के खात्मे की शोध रिपोर्ट भी नहीं पूरी हुई है।ऐसे में जब तक गंगाजल द्वारा वायरस को मारने की पुष्टि नहीं हो जाती है, तबतक लोगों को गंगा स्नान और गंगा तट से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वायरस सूखी सतह के मुकाबले पानी में तेजी से फैलता है और लंबे समय तक सक्रिय रहता है। गंगा के पानी के बहाव के साथ ही वायरस और लोगों तक पहुंच सकता है।
12 वैज्ञानिकों की टीम कर रही शोध
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि रुड़की विश्वविद्यालय के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. संदीप शुक्ला ने भी गंगा के रास्ते संक्रमण फैलने पर चिंता जाहिर की है। 12 वैज्ञानिकों की टीम बहते हुए पानी में कोरोना वायरस के सक्रिय रहने के समय पर शोध कर रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि यह वायरस पानी में कितने समय तक सक्रिय रह सकता है। शोध पूरा होने के बाद इसका खुलासा होगा।
करीब 40 साधु-संतों को कोरोना संक्रमण
हरिद्वार कुंभ में स्नान के बाद अब तक अखाड़ों से जुड़े करीब 40 साधु-संतों को कोरोना संक्रमण हो चुका है। महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई। वहीं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी अस्पताल में भर्ती हैं। शाही स्नान में 49 लाख 31343 के करीब श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। वहीं अब तक 2483 कोरोना संक्रमित मिले हैं।
गंगा बेसिन का क्षेत्र
हरिद्वार से लगभग 800 किमी. मैदानी यात्रा करते हुए गंगा गढ़मुक्तेश्वर, सोरो, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बिठूर, कानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, पटना, भागलपुर होते हुए निकलती हैं।