हिमाचल प्रदेश में सूखे के चलते पैदा हुए जल संकट से निपटने को आपदा फंड से 50 करोड़ सभी डीसी को जारी

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आवाज़ ए हिमाचल

17 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में सूखे के चलते पैदा हुए जल संकट से निपटने के लिए सरकार ने जलशक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता तक अधिकारी फील्ड में उतार दिए हैं। इन अधिकारियों से जलस्रोतों और पेयजल योजनाओं पर नजर रखने के लिए कहा गया है। अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, चीफ इंजीनियर और सचिव भी जल संकट को लेकर निगरानी करेंगे। जलशक्ति मंत्री अधिकारियों के साथ समय-समय पर समीक्षा करते रहेंगे।

प्रदेश के बागवानी, राजस्व और जल शक्ति विभाग मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि सूखे के कारण पैदा हुए जल संकट से निपटने के लिए सरकार ने प्राकृतिक आपदा फंड (सीआरएफ) से 50 करोड़ सभी डीसी को जारी कर दिए हैं। पानी को व्यर्थ बहने से भी रोका जाना है। लैब में पानी के नमूने हर रोज जांचे जा रहे हैं। कोई निजी स्तर पर पानी के नमूनों का जांच करवा सकता है। प्रदेश की सिंचाई योजनाओं से ही साफ पानी पशुओं के लिए उपलब्ध होगा।

कहा कि धनराशि जारी करने से पहले सभी डीसी से पानी के संकट को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। पुराने हैंडपंपों की मरम्मत कर मोटरों से पानी उठाया जाएगा। सरकार ने मानसून तक प्रदेश में भवन निर्माण में पेयजल उपयोग करने पर रोक लगाई है। नदियों, खड्डों और जल स्रोतों का पानी घटता जा रहा है। इससे पेयजल संकट ज्यादा गहराएगा।

वर्षा जल संग्रहण और ग्रे पानी का दोहन करेंगे
महेंद्र सिंह ने कहा कि विभाग के सभी 255 उपमंडलों में वर्षा जल संग्रहण के एक-एक प्रोजेक्ट तैयार होंगे। ग्रे पानी यानी गंदे पानी को भी साफ कर इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

सूखे से कृषि-बागवानी को नुकसान की मांगी रिपोर्ट 
महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में सूखे से फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट सभी जिलों से तलब की गई है। बागवानी क्षेत्र में सूखे से मार पड़ी है। बगीचों में फलदार पेड़ सूखने लगे हैं। सूबे के कई क्षेत्रों में पेड़ों से फलों के झड़ने की शिकायत बागवान कर रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसे केंद्र सरकार को भेजेंगे।

चालकों के 32 पदों के लिए आए 9000 आवेदन
महेंद्र सिंह ने कहा कि जल शक्ति विभाग में चालकों के 32 पदों के लिए करीब नौ हजार आवेदन आए हैं। चालकों के पद भरने के लिए साक्षात्कार लिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच रहीं पेयजल संकट की शिकायतें 
हिमाचल प्रदेश में पेयजल संकट की शिकायतें सीएम कार्यालय तक पहुंच रही हैं। राज्य सचिवालय स्थित कार्यालय में लोग फोन कर अधिकारियों से इसका समाधान चाह रहे हैं। लोग मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायतें कर रहे हैं। सीएम कार्यालय में शिकायतें हो रही हैं कि अधिकारी लोगों के आग्रह पर भी फील्ड में नहीं जा रहे हैं।


मुख्यमंत्री दफ्तर ने जलशक्ति विभाग को निर्देश दिए हैं कि एक्सईएन और एसडीओ स्तर के सभी अधिकारियों को फील्ड में जाकर पानी का सही वितरण सुनिश्चित करना होगा। सभी एसडीएम से पंचायतीराज प्रतिनिधियों से कोरोना वायरस के नियंत्रण के उपायों पर चर्चा करने के लिए वर्चुअल बैठकें करने के लिए कहा गया है, मगर उसमें भी पानी का मुद्दा ही गूंज रहा है।

ग्राम पंचायत ने अधिकारियों को मौके पर बुलाने का प्रस्ताव पारित किया 
जिला शिमला की ग्राम पंचायत क्यार ने पेयजल संकट पर मासिक बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया है। ग्राम पंचायत के नौ सदस्यों ने कई गांवों के लिए ठीक ढंग से पानी की आपूर्ति नहीं होने और जगह-जगह लीकेज होने पर अधिकारियों को निरीक्षण के लिए मौके पर बुलाया है। पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार उठाऊ पेयजल योजना में पानी होने के बावजूद इसका ठीक से बंटवारा नहीं हो रहा है। इससे कई गांवों में पानी की बूंद भी नहीं पहुंच रही है।

 

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