आवाज ए हिमाचल
29 दिसम्बर। हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन प्रदेश सरकार द्वारा मांगें पूरी न करने खफा है। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष मनीष गर्ग व प्रदेश महासचिव अनिल सेन ने सामूहिक बयान में कहा कि संगठन के पदाधिकारी अपनी प्रमुख मांग नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता व अनुबंध काल को कुल सेवाकाल में जोड़ने के संदर्भ में पिछले तीन वर्षों में 200 से अधिक बार इस मांग को अलग-अलग मंचों के माध्यम से प्रदेश सरकार के समक्ष रखा जा चुका है।मुख्यमंत्री के समक्ष यह मांग 50 से अधिक बार पदाधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा रखी जा चुकी है, लेकिन उनकी यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि 16 फरवरी, 2020 को जिला मंडी सरोआ में जनमंच के दौरान, तीन सितंबर को मंडी सर्किट हाउस में, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले व अन्य मौकों पर जब-जब भी संगठन के पदाधिकारी इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिले हैं। इस दौरान सीएम ने सिर्फ और सिर्फ एक ही आश्वासन दिया है कि जल्द ही पूरा करने वाले हैं, लेकिन यह मांग तीन वर्ष में अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। प्रदेश के करीब 60 हजार अनुबंध व अनुबंध से नियमित कर्मचारी अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं।
प्रदेश महासचिव अनिल सेन ने कहा की 2017 विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के सीएम कैंडिडेट ने सुजानपुर रैली के दौरान कहा था कि भाजपा के सत्ता में आते ही अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान कर दी जाएगी, लेकिन तीन साल बाद भी वर्तमान सरकार अपना यह चुनावी वादा पूरा नहीं कर पाई है। एक तरफ तो प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग में वर्ग विशेष शिक्षकों के केस की पैरवी सुप्रीम कोर्ट तक करती है। उन्हें नियमितीकरण का तोहफा देती है। वहीं, दूसरी तरफ संवैधानिक तरीके से आर एंड वी नियमों के अंतर्गत, कमीशन और बैचवाइज आधार पर भर्ती अनुबंध और अनुबंध से नियमित कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है।
संगठन का कहना है कि प्रदेश के हर विभाग में कार्यरत करीब 60 हजार अनुबंध व अनुबंध से नियमित कर्मचारियों में प्रदेश सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है। यदि फिर भी उनकी इस जायज मांग पूरी नहीं की जाती है, तो आने वाले समय में पंचायती राज चुनावों के बाद 60 हजार कर्मचारी प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल के लिए मजबूर हो जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। कोरोना महामारी के कारण वर्तमान सरकार की वित्तीय हालत को देखते हुए उन्हें यह वरिष्ठता बिना किसी वित्तीय लाभ के चाहिए, जिसके लिए कर्मचारी एफिडेविट तक देने को तैयार हैं।