प्रशासन ने समय पर दिया था लिखित आश्वासन, फिर भी हुआ बहिष्कार

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आवाज ए हिमाचल 

20 जनवरी। ग्राम पंचायत चकमोह में 35 प्रत्याशियों ने नामांकन वापसी करते हुए पंचायत चुनावों के बहिष्कार की मुहिम चलाई थी और उस समय बीडीसी, जिला परिषद चुनावों में वोटिंग के बहिष्कार का कोई निर्णय नहीं हुआ था। ग्राम पंचायत प्रधान, उप-प्रधान व वार्ड सदस्य चुनावों को टालने का मकसद चकमोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भूमि के लीज़ का एमओयू बनवाना था, जिसका मौखिक आश्वासन जिलाधीश व सीएमओ हमीरपुर ने 8 जनवरी की बैठक में उपस्थित लोगों को दिया गया था।इसके बाद गांव के बड़े -बुज़ुर्गों ने चकमोह में पोलिंग हेतु सहमति दे दी थी, मगर कथित राजनीति के चलते लिखित आश्वासन न मिलने तक जिला परिषद व बीडीसी चुनावों में वोटिंग न करने हेतु बहुत अधिक दवाब बनाया गया, मगर 18 जनवरी को प्रशासन ने लिखित रूप से भी जब जवाब दे दिया, तो भी गांव में अनेकों मतदाताओं को इस लिखित जवाब के बारे में बताया नहीं गया और इस जानकारी के अभाव में ग्रामीण वोट डालने नहीं आए। लोगों को बहिष्कार के लिए मनाने वालों ने प्रशासन की मौखिल व लिखित दोनों कार्यवाहियों की बात जनता तक न जाने दी और उधर, जिन लोगों को इस पत्र का हवाला मिलता गया, उन्होने वोटिंग कर दी। इस तरह चकमोह में 441 मतदाताओं ने वोट डाले और जानकारी से वंचित लोग मतदान करने ही नहीं गए।

ये है प्रशासन का लिखित जवाब
बाबा बालक नाथ मंदिर अधिकारी के पत्र संख्या 4028, 18 जनवरी, 2020 में कैप्टन अमर नाथ और सुरेंद्र सोनी को जारी पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग को चकमोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भूमि हस्तांतरित न करने के कारण चकमोह में मतदान के बहिष्कार मामले में चकमोह गांव की तरफ से सौंपी गई अपील पर जिलाधीश हमीरपुर ने उनको यह कहने का निर्देश दिया है कि उनके प्रार्थना-पत्र पर कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।सनद रहे कि आचार संहित में एमओयू साईन नहीं हो सकता है और प्रशासन ने यह बात पहले ही बताई थी और आचार संहित हटने के बाद एमओयू बनाने हेतु 12 जनवरी को पुन: विशेष बैठक आयोजित हुई थी, लेकिन जनता के पास प्रशासन की कार्यवाही की रिपोर्टें समय पर न पन्हुचाई गई, जिससे सैकड़ों वोटर वोट डालने न गए और इसका नुकसान जिला परिषद और बीडीसी प्रत्याशियों को उठाना पड़ा। आचार संहिता में प्रशासन की विवशता के चलते और चुनावों के पिछले दिन जारी पत्र के सार्वजनिक न होने के कारण अनेकों ग्रामीणों को यह भ्रमजाल रहा कि यहां कोई वोटिंग नहीं होगी।

कम वोटिंग से पेचीदा हुआ चुनाव
बीडीसी चुनावों में झंझियानी से 1431 और चकमोह से 441 वोट पड़े हैं और कुल 1872 मतदान में से तीन बीडीसी प्रत्याशी का भाग्य तय होना है। जिला परिषद सीट पर भी चकमोह की कम वोटिंग का नुकसान दोनों दलों को उठाना होगा और ऐसे में अगर चकमोह से बीडीसी उम्मीदवार जीते तो यह आज तक की सबसे मुश्किल और रोचक जीत होगी, क्योंकि चकमोह में वोट ने पड़ने का शोर झंझियानी पंचायत में चरम पर था।

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