दिल्ली के बिग बॉस बने LG

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आवाज ए हिमाचल 

29 अप्रैल। 28 अप्रैल से दिल्ली में सरकार का मतलब मुख्यमंत्री नहीं, उपराज्यपाल होगा। दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल (एलजी) के आदेश से ही काम करना होगा। मंगलवार रात से दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम 2021 लागू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस आशय की अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके बाद दिल्ली में ‘सरकार’ का मतलब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से है। यानी अब दिल्ली में सारे बड़े और अहम फैसले उपराज्यपाल अनिल बैजल की अनुमति के बाद ही लागू किए जा सकेंगे।

अधिसूचना से फैल सकती है अव्यवस्था : दिल्ली सरकार

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम 2021 को लागू करने संबंधी अधिसूचना पर दिल्ली सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। सरकार ने बुधवार को कहा कि केंद्र को यह अधिसूचना जारी करने के लिए कोरोना संक्रमण के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए था। कोरोना महामारी के बीच अधिसूचना जारी होने से अव्यवस्था फैल सकती है।दिल्ली सरकार ने कहा कि राजधानी कोरोना के कारण भारी तबाही से गुजर रही है। इस अधिसूचना का असर कोरोना प्रबंधन पर पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कोरोना को रोकने के हरसंभव प्रयास जारी हैं। केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार साथ मिलकाम कर रही हैं, लेकिन इस अधिसूचना के जारी होने से उलझनें पैदा हो जाएंगी।

इससे पहले गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन के हस्ताक्षर के साथ जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम 2021 (2021 का 15) की धारा एक की उपधारा-2 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 27 अप्रैल 2021 से अधिनियम के प्रावधानों को लागू करती है। अधिनियम के मुताबिक दिल्ली सरकार को विधायिका से जुड़े फैसलों पर उपराज्यपाल से 15 दिन पहले और प्रशासनिक मामलों पर सात दिन पहले मंजूरी लेनी होगी। मालूम हो कि लोकसभा में यह विधेयक 22 मार्च और राज्यसभा में 24 मार्च को पास किया गया था। 28 मार्च को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने इस पर हस्ताक्षर किए थे।

कानून को ऐसे समय में अधिसूचित किया है जब केंद्र और दिल्ली सरकार कोरोना महामारी से निपटने के मुद्दे पर लोगों की नजर में हैं। मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कोविड-19 मरीजों के लिए जरूरी आक्सीजन और अहम दवाइयों की कालाबाजारी रोकने में आप सरकार की कथित नाकामी पर फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकार हालात को नहीं संभाल सकती तो केंद्र से कहेंगे कि वह गैस भरने वाले संयंत्रों को अपने कब्जे में ले। लोगों को इस तरह से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।

कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी

दिल्ली सरकार दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की ताकत अब उपराज्यपाल के पास आ गई है। इसमें यह भी प्रविधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी। इसके अलावा दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी।

AAP और कांग्रेस ने किया था विरोध

इस विधेयक पर संसद में चर्चा के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने काफी विरोध किया था। सदन में विधेयक पास होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यह लोकतंत्र के लिए दुखद है। हम सत्ता की ताकत को जनता के हाथ में रखने की अपनी कोशिशों को जारी रखेंगे। हम दिल्ली के विकास के लिए काम जारी रखेंगे।

 

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