केंद्र सरकार ने नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को मोर्चे पर लगाया

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आवाज ए हिमाचल 

27 अप्रैल। देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं रहे इसके लिए केन्द्र सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने बड़ा निर्णय लिया है। अब मेडिकल ऑक्सीजन भेजने के लिए नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों का इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान समय में देश में 765 नाइट्रोजन व 434 आर्गन का परिवहन करने वाले टैंकर हैं। ये लगभग 16 हजार टन तक तरल गैस का परिवहन कर सकते हैं। इन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति में लगाया जा रहा है। ऑक्सीजन ले जाने के लिए नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को परिवर्तित किया जा रहा है। इससे देश में ऑक्सीजन संकट को दूर करने में मदद मिलेगी।

परिवहन के लिए टैंकरों की जरूरत

इस समय मेडिकल ऑक्सीजन की मांग चरम पर है। स्टील प्लांटों के पास मांग के अनुसार ऑक्सीजन उपलब्ध हैं। लेकिन सप्लाई चेन की कमी के कारण परेशानी हो रही है। उत्पादित गैस के परिवहन के लिए टैंकरों की भारी जरूरत है। जिसे देखते हुए सरकार ने नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को ऑक्सीजन टैंकर में परिवर्तित कर दिया है। वर्तमान में 1172 टैंकर 15,900 टन मेडिकल ऑक्सीजन का परिवहन कर पा रहे थे।  इसमें से बोकारो से 10 और इतने ही टैंकर टाटा के होते थे, जो लगभग दो सौ से 300 टन मेडिकल ऑक्सीजन का परिवहन कर सकेंगे। चूंकि बोकाराे से प्रत्येक दिन 150 टन गैस का उत्पादन हो रहा है। इसके लिए कम से कम 50 से 60 टैंकर की आवश्यकता है। अब देश में 765 नाइट्रोजन व 434 टैंकर ऑक्सीजन सप्लाई चेन में लगेंगे। इससे संकट दूर होगा।

बोकारो स्टील प्लांट ने ऑक्सीजन का उत्पादन डबल करने का लिया निर्णय

एक सप्ताह के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन व आपूर्ति दोगुणा कर दिया गया है। इस संबंध में बोकारो स्टील ने सेल की ओर से विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है।  बताया गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों ने 25 अप्रैल विभिन्न राज्यों को 3131.84 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की। 24 अप्रैल 2894 टन किया गया था। जबकि एक सप्ताह पहले तक औसतन 1500 टन अलग-अलग राज्यों को उपलब्ध कराया जा रहा था। 25 अप्रैल को पूरे देश में मेडिकल गैस का उत्पादन 3468.60 टन रहा।

ऑक्सीजन की कालाबारी रोकने के लिए सामने आया पुलिस-प्रशासन

बोकारो अपने जिले के साथ-साथ राज्य के अन्य जिलों को ऑक्सीजन दे सके । इसके लिए जिला प्रशासन रणनीति बना रहा है। चूंकि तरल ऑक्सीजन के साथ-साथ जिले में ऑक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन जरूरत से कई गुणा अधिक हो रहा है। गैस की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए सोमवार को पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार झा तथा एसडीएम शशि प्रकाश सिंह ने संयुक्त रूप से बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र स्थित तीन ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया। वहां की सुरक्षा का जायजा लिया तथा ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी नहीं करने एवं इन सिलेंडरों का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल में करने का दिशानिर्देश दिया। इस संबंध में चास एसडीएम शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि बोकारो जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है । यदि किसी व्यक्ति को ऑक्सीजन के सिलेंडर या आपूर्ति को लेकर किसी प्रकार की परेशानी हो तो सीधे एसडीएम कार्यालय में संपर्क कर सकता है । खासकर ऑक्सीजन सिलेंडर की अधिक मूल्य की मांग , देने में असमर्थता सहित अन्य शिकायतों को लेकर अपनी बात को रख सकता है ।

24 घंटे उचित मूल्य पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का निर्देश

बताया कि उत्पादन को लेकर संबंधित कंपनियों के प्रबंधन से बात किया है। निर्देश दिया कि 24 घंटे और सातों दिन जब भी जिसे जरूरत हो उचित मूल्य पर उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध कराएं । ऑक्सीजन के कारण किसी भी मरीज की जान जाने या किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। गौरतलब हो कि बोकारो में चार निजी कंपनियां ऑक्सीजन गैस की बाटलिंग करती हैं । इनमें ईस्टर्न ऑक्सीजन प्राइवेट लिमिटेड , चित्रलेखा , बोकारो गैस और झारखंड इस्पात शामिल है । चारों उद्योगों से प्रतिदिन न्यूनतम 1200 सिलेंडर और अधिकतम 2000 जंबो सिलेंडर की रिफीलिंग संभव है। बता दें कि एक जंबो सिलेंडर एक मरीज के लिए नियमित रूप से 30 घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकता है। बोकारो में ऑक्सीजन के बड़े सिलेंडर का मूल्य 392 रुपये से लेकर 450 तक का है। जिले में उत्पादन 2000 सिलेंडर का हो रहा है और खपत 300 से 400 सिलेंडर की ही है । यही वजह है कि बोकारो आसपास के जिलों को भी सिलेंडरों में रिफिल किया हुआ गैस आपूर्ति करने में सक्षम है।

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