आवाज़ ए हिमाचल
यशपाल ठाकुर,परवाणू
10 मई।परवाणू में पिछले कई वर्षों से सरकारी भूमि पर प्रवासियों द्वारा अवैध कब्ज़ा कर के झुग्गी झोंपड़िया बनाई गई है, जिस कारण शहर व साथ लगती टकसाल व बनासर पंचायत क्षेत्र में गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। हालात इतने भयानक हो गए है कि लोग डायरिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे है तथा हो सकता है आने वाले समय में डेंगू जैसी जानलेवा बिमारी का भी कारण बने।अभी तक गनीमत यह रही है की किसी की भी डायरिया जैसी गंभीर बिमारी के कारण मृत्यु नहीं हुई है।इतना सब हो जाने के बाद भी सरकारी तंत्र वर्षों से अपनी ही ज़मीन पर बनाई गई अवैध झुग्गी झोपड़ियो की उठवाने में नाकाम व लाचार नज़र आ रहा है।ऐसे में कई वर्षों से विभागों की कार्यवाही नोटिस तक ही सिमित रह गई है,फिर चाहे वह हिमुडा हो,वन विभाग हो या अन्य सम्बंधित विभाग।कुछ विभागों द्वारा तो झुग्गी वालों को पानी सुविधा व बिजली के कनेक्शन भी उपलब्ध करवाए गए है,जो सरासर गैर कानूनी हैं।प्राप्त जानकारी में मुताबिक अप्रैल माह में हिमुडा द्वारा एक पत्र भी जिला उपायुक्त को लिखा था,जिसमें एक बैठक कर सरकारी भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को हटाने की रूप रेखा तैयार करने व सरकारी ज़मीनों को खाली करवाने में भी सहयोग देने का आग्रह किया गया है। इस पत्र की प्रतिलिपि डीसी सोलन,सहायक आयुक्त कार्यालय परवाणू,एसडीएम कसौली,पुलिस विभाग व अन्य सम्बंधित विभागों को भी भेजी गई थी।हालांकि बीते दिनों परवाणू सहायक आयुक्त महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा टकसाल पंचायत के कामली गांव और जहां से परवाणू को पानी की सप्लाई होती है,उस कौशल्या नदी का निरिक्षण किया गया था।निरिक्षण के दौरान सहायक आयुक्त ने पाया था की कामली,खड़ीन ग्रामीण क्षेत्र में कौशल्या नदी के पास बहुत बड़ा अवैध स्लम था और स्लम में रहने वाले प्रवासी कौशल्या नदी में ही कपड़े धोना,मल मूत्र जैसी गंदगी फैलाते थे, जिसे सहायक आयुक्त महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा बंद करवाने के आदेश दिए थे और उक्त स्थान पर वन विभाग एवं पुलिस विभाग के जवानों को निगरानी रखने के लिए भी कहा गया था।वहीं निरिक्षण के दौरान महेन्द्र प्रताप सिह ने टकसाल एवं बनासर पंचायत और वन विभाग को नदी किनारे बनाई गई अवैध झूगी झोंपडियों को भी उठवाने के आदेश दिए थे।
बता दें कि परवाणू पिछले कई वर्षों से डेंगू,डायरिया,मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है और अधिकतर बीमारियां परवाणू एवं परवाणू से सटे पंचायती क्षेत्र में बने अवैध स्लम से फैलती हैं और बीमारियों की शुरुआत भी इन्हीं स्लम ऐरियों से होती है।स्थिति ऐसी है की जब भी झूगी वालों को अवैध कब्ज़ा हटाने की बात कही जाती है,तो उनकी और उनके वोट बैंक के राजनीतिक आकाओं की मांग उन्हें सरकारी पक्के मकान दिए जाने की होती है।एक तो सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करके रहते हैं।उसके बाद प्रशासन को आँख दिखा कर पक्के मकान की डिमांड रखते हैं। ये तो वही बात हो गई “एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी”। हिमुडा का कहना है कि सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से बनी झुग्गी झोंपडियों और अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए हिमुडा को जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता है तभी यह संभव हो सकता है।
वहीं डीएसपी प्रणव चौहान ने बताया कि हिमुडा से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें सरकारी भूमि को खाली करवाए जाने की बात कही गई थी। प्रणव चौहान ने कहा कि इस गंभीर मामले को लेकर जब भी पुलिस विभाग से सहयोग मांगा जाएगा हम उसमें ज़रूर सहयोग देंगे।
उधर, जिला उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने कहा कि जिस दिन भी हिमुडा या अन्य सम्बंधित विभाग उन्हें सरकारी भूमि पर बनाई गई अवैध झूगी झोंपडियों को हटवाने के लिए कहेगा,उसी दिन जिला मैजिस्ट्रेट,पुलिस विभाग सहित पूरा प्रशासन सम्बंधित विभागों का अवैध कब्ज़ा की गई भूमि को खाली करवाने का सहयोग करेगा।