आवाज ए हिमाचल
20 जनवरी। नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच आज 10वें दौर की वार्ता जारी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत कर रहे हैं। पहले यह वार्ता मंगलवार को होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। बता दें कि किसान 26 नवंबर से ही तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार नए कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बता रही है और गतिरोध को बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहती है। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ है।
वार्ता के माध्यम से समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र सकारात्मक: नरेंद्र तोमर
15 जनवरी को केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच नौवें दौर की बातचीत हुई थी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि यूनियनों को आपस में अनौपचारिक समूह बनाने और अपनी मांगों के बारे में सरकार को एक मसौदा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार ‘खुले मन’ से मसौदे पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ठंड की स्थिति में विरोध कर रहे किसानों को लेकर चिंतित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वार्ता के माध्यम से समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र सकारात्मक है। 12 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी और उसके द्वारा गठित समिति से दो महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा।
समिति को दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश
समिति को निर्देश दिया गया है कि वह किसानों के साथ बातचीत करे और अपनी पहली बैठक के दो महीने के भीतर कृषि कानूनों से संबंधित अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करे। हालांकि, किसान यूनियनों के नेताओं ने समिति को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनके सदस्य पहले से ही कृषि कानूनों के पक्षधारी हैं। भारतीय किसान यूनियन (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को नए कृषि कानूनों को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति से खुद को अलग कर लिया।
समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ अपनी पहली बैठक करेगी
समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ अपनी पहली बैठक करेगी। मंगलवार को पैनल के सदस्य अनिल घणावत ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंदोलनकारी किसानों को इस मामले पर चर्चा करने के लिए मनाने की है।