आवाज़ ए हिमाचल
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है और शुरुआती रुझानों के आधार पर कांग्रेस बहुमत की ओर जा रही है, जबकि भाजपा पिछड़ रही है। राज्य की 224 सीटों के लिए 36 केंद्रों पर मतगणना कड़ी सुरक्षा के बीच हो रही है। रुझानों में कांग्रेस 117 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि भाजपा 73 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इसके अलावा जेडीएस 26 और अन्य पांच सीटों पर आगे हैं। स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 113 सीटों पर जीत हासिल करना जरुरी है और रुझानों में कांग्रेस को बहुमत मिल गया है। राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर तीन प्रमुख पार्टी है।
भाजपा हालांकि राज्य में 38 साल के मिथक को तोडऩे की कोशिश कर रही है, जहां 1985 में जनता ने सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था। इस चुनाव में कांग्रेस सरकार, मूल्य वृद्धि (महंगाई) और बेरोजगारी पर 40 प्रतिशत कमीशन के मुद्दे का भुनाना चाह रही है। जनता दल -सेक्युलर की निगाह खंडित जनादेश की स्थिति में किंगमेकर बनने पर है, जैसा कि उसने 2018 के चुनाव में किया था। भाजपा ने फिर से इस चुनाव में बजरंग बली को मुद्दा बनाया। राज्य में सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की कांग्रेस के घोषणापत्र के प्रस्ताव पर भाजपा ने उन पर तीखा हमला किया। हालांकि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने यह कहकर इसे स्पष्ट किया कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं था और कहा कि राज्य में अधिक मंदिर भगवान हनुमान के हैं।
चुनाव में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारामैया और डीके शिवकुमार के अलावा जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी का भविष्य तय होगा। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस को 80 और जनता दल-सेक्युलर को 37 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 38.04 प्रतिशत वोट मिले थे, इसके बाद भाजपा ने 36.22 फीसदी मत हासिल किये थे। जनता दल सेक्युलर को 18.36 फीसदी मत मिले थे। कांग्रेस और जनता दल -सेक्युलर के कुछ विधायकों द्वारा गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा ने बीच में ही सरकार बना ली थी। आज की मतगणना के दोपहर तक के रुझान से नई विधानसभा की तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है।