आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल में चीड़ की पत्तियों से बॉयोगैस का उत्पादन होगा। इस संबंध में राज्य सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के मध्य एमओयू हुआ है। ऑयल इंडिया लिमिटेड कम्प्रैस्ड बॉयोगैस (सीबीजी) बनाने जा रही है। इसके लिए प्रदेश में चीड़ की पत्तियों के माध्यम से जैव ईंधन का उत्पादन करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इससे पर्यावरण अनुकूल जैविक कचरे के उचित निपटारे में सहायता मिलेगी। अत्याधुनिक पायरोलेसिस और अन्य तकनीकों के माध्यम से चीड़ की पत्तियों के उपयोग से जैव ईंधन के उत्पादन से वनों की आग और ऊर्जा संकट जैसे मामलों से निपटने में भी मदद मिलेगी। हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के माध्यम से सरकार और ओआईएल सीबीजी सहित नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का दोहन और इसे विकास में सहयोग करेंगे। प्रदेश के कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों के बड़े भू-भाग में चीड़ के जंगल हैं।
हाल ही में किए गए अनुसंधान से पता चलता है कि चीड़ की पत्तियों को सीबीजी में परिर्वतित किया जा सकता है, जो ऊर्जा का एक स्थायी संसाधन हैं। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए चीड़ से बॉयोगैस का उत्पादन रोजगार का एक अच्छा जरिया साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत विकसित करने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा एक स्थायी ऊर्जा प्रणाली विकसित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। ओआईएल के साथ यह समझौता हिमाचल को मार्च-2026 तक देश का पहला हरित राज्य बनने की दिशा में सहायक होगा।