आवाज़ ए हिमाचल
जयपुर। राष्ट्रीय सेवा भारती का सेवा संगम राजस्थान के जयपुर शुक्रवार से शुरू हो गया, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने संबोधित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जब बाहरी लोगों को परास्त किया, तो भीतरी लोगों ने देश को तोडऩे का काम किया। भागवत ने कहा कि हमारी सोच ऊंची होगी, तो ऊंचे समाज का निर्माण होगा। इस देश में शंख, घड़ी, नगाड़ों की आवाज बंद हो गई और ध्वनि विस्तारक यंत्र के पांच समय की नमाज सुनाई देनी लगी। देश में शंख बंद हो गए, तो उसका कारण है कि घुसपैठिए आए जिन्होंने देश का माहौल खराब कर दिया। इन लोगों ने देश को बांटने का काम किया। मोहन भागवत ने कहा कि जब तक देश में रोटी -बेटी का व्यवहार नहीं होता, तब तक देश में सामाजिक समरसता नहीं आएगी।
भागवत ने कहा कि सेवा भाव में आम तौर पर मिशनरियों का नाम लेते हैं, लेकिन दक्षिण के चार प्रांतों में संतों द्वारा सेवा कार्य किया जाता है और वह मिशनरियों की सेवा से अधिक है। हालांकि, मेरा सेवा में प्रतिस्पर्धा का भाव नहीं है। सेवा मनुष्यता की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। मेरे पास जो है उसमें से जो देकर जो बचता है वह मेरा। सेवा इस सत्य की प्रत्यक्ष अनुभूति। इस भाव से सेवा हो तो समरसता का साधन होता है। हमारे देश में सभी लोग समाज के अंग, एक नहीं तो अधूरे। साथ है तो पूरे। दुर्भाग्य से परिस्थिति आई, लेकिन यह विषमता नहीं चाहिए। काम करते हुए हम सब में एक ही प्राण, यह पता चलना चाहिए।