आवाज़ ए हिमाचल
तरसेम जरियाल, धारकंडी। वर्तमान में नारी सशक्तीकरण समय की मांग है। जागोरी संस्था इसी दिशा में प्रयासरत है, जिसकी बदौलत बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। कई किशोरियां और महिलाएं संस्था के साथ जुड़ी हुई हैं।
इस कड़ी में राजकीय महाविद्यालय रिड़कमार में जगोरी रूरल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जेंडर भेदभाव पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य लिंग भेद को समाप्त पर समाज में समानता का अधिकार प्रदान करना है। कार्यशाला में उपस्थित महाविद्यालय के विद्यार्थियों को संदर्भ व्यक्ति गगनदीप ने कहा कि लड़का और लड़की सामाजिक और कानूनी रूप से एक जैसे ही हैं। एक बेहतर समाज बनाने के लिए लड़कों की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी लड़कियों की, लेकिन एक बेहतर समाज की गठन में बेहतर सोच रखने वाले इंसानों की काफी ज्यादा जरूरत रहती है। इस आधुनिक युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही एक दूसरे को कांटे की टक्कर देने में सक्षम हैं। लडकियां समाज की शान मानी जाती हैं, लेकिन आए दिन लड़कियों पर अत्याचार, घरेलू हिंसा, दहेज की मांग हमें शर्मसार कर जाती है। हमें लड़कियों और लड़कों में कोई भेदभाव न कर सब को एक समान महसूस करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वे के अनुसार दुनिया की हर तीसरी महिला के साथ हिंसा हो रही है। महाविद्यालय में महिला हिंसा के विरोध में जागरूकता के लिए लघु नाटक, स्लोगन और समूह चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से संदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ हिंसा के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। ऐसे ही अधिकतर मामलों में महिलाएं चुप्पी साध लेती हैं, जिस कारण हिंसा करने वालों के हौसले बुलंद हो जाते हैं तथा वे कई बार महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं का अपने अधिकारों व कानून के प्रति जागरूक न होना है।
उन्होंने विद्यार्थियों व महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी महिला के साथ हिंसा हो रही हो तो उनके खिलाफ आवाज उठाएं, ताकि दोषियों को सजा मिल सके तथा वे दोबारा हिसा करने के बारे में न सोचें। एक दिवसीय कार्यशाला में महाविद्यालय रिडकमार के विद्यार्थियों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। इस दौरान प्रोफेसर हाकम चंद, जागोरी संस्था की ओर से गगनदीप सिंह, ममता, अंजू, पूजा व विद्यार्थी मौजूद रहे।