आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में चल रहे स्नातकोत्तर स्तर के कोर्सिज में चॉइस बेस्ड क्रैडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होगा। मंगलवार को विश्वविद्यालय में डीन ऑफ स्टडीज प्रो. कुलभूषण चंदेल की अध्यक्षता में आयोजित हुई अकादमिक काऊंसिल की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में सीबीसीएस लागू करने को लेकर मंजूरी प्रदान की गई। क्रैडिट सिस्टम चॉइस बेस्ड करने के लिए यानी चॉइस बेस्ड क्रैडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमेटी गठित की थी और इस कमेटी की रिपोर्ट बैठक में पेश हुई। इस दौरान सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करने के बाद स्नातकोत्तर स्तर पर चॉइस बेस्ड क्रैडिट सिस्टम लागू करने को मंजूरी प्रदान की गई। अब इसे विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में पेश किया जाएगा और ईसी से स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
विद्यार्थियों को क्रैडिट्स के आधार पर मिलेगी डिग्री
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह चॉइस बेस्ड क्रैडिट सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे अब विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न स्नातकोत्तर स्तर के कोर्सिज की डिग्री क्रैडिट्स के आधार पर जारी होगी यानी विद्यार्थियों को अंकों के स्थान पर क्रैडिट्स दिए जाएंगे। विभिन्न सैमेस्टरों में विद्यार्थियों को प्राप्त होने वाले क्रैडिट्स के आधार पर डिग्री मिलेगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने को लेकर चरणबद्ध तरीके से कदम उठाया जा रहा है। क्रैडिट्स सिस्टम लागू करना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। काॅलेजों में पहले से ही क्रैडिट सिस्टम लागू है।
अब बिना प्रवेश परीक्षा नहीं मिलेगा दाखिला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में अब पीएचडी में बिना प्रवेश परीक्षा दाखिला नहीं मिलेगा। अकादमिक काऊंसिल की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में विश्वविद्यालय में पीएचडी में प्रवेश पूरी तरह से यूजीसी की गाइडलाइन के तहत करने का फैसला लिया है। इसके तहत प्रवेश परीक्षा के अंकों की वेटेज 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत वेटेज अकादमिक में प्राप्त अंकों को दी जाएगी। इसे अब अंतिम मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय की ईसी के समक्ष रखा जाएगा।
संस्कृत विभाग में कर्मकांड विषय होगा शुरू, बीवॉक को भी मिली राहत
विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में कर्मकांड विषय को भी शुरू किया जाएगा। बैठक में बीवॉक के तहत जो लेट फीस का मसला लंबे समय से लंबित पड़ा था, उसे भी माफ करने की मंजूरी दे दी है।