आवाज़ ए हिमाचल
अमन राजपूत, जवाली। प्रदेश कम्प्यूटर अनुदेशक संघ ने प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि वर्ष 2001 से वे अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन इस बार जो दल उन्हें पक्का करने का वायदा करेगा संघ के सदस्य उसे ही अपना वोट देंगें। जवाली में संघ की बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दलजीत सिंह मन्हास ने कहा कि जब भी चुनाव का समय आता है तो प्रदेश के आला नेता लुभावने सपने दिखाकर उनसे वोट ले लेते हैं और सरकार बनने के बाद सब वायदे भूल जाते हैं।
उन्होंने रोष जताया कि पीटीए एवं एसएमसी और यहां तक कि पैरा टीचरों के लिए भी मौजूदा सरकारों ने नीतियां बनाकर उनका भविष्य सुरक्षित कर दियाए लेकिन कंप्यूटर अनुदेशकों की कोई सुध न ली। उन्होंने का न तो किसी सरकार ने इनके लिए कोई कारगर नीति बनाई और न ही इन्हें रेगुलकर करने की सौगात दी। संघ के वित्तीय सलाहकार भुवनेश शर्मा का कहना है कि प्रदेश मे सैकड़ों कम्प्यूटर अनुदेशक सरकारी स्कूलों में वर्ष 2001 से सेवाएं दे रहे हैं, जबकि, अनुबंध पर तैनात टीजीटी और प्रवक्ता दो या तीन साल में रेगुलर हो जाते हैं और कम्प्यूटर अनुदेशक सरकार की नीति के इंतजार में रहते हैं।
उनका कहना है कि कुछ कम्प्यूटर टीचर रिटायर होने की उम्र में हैं। ऐसे में अगर इन्हें सरकार ने रेगुलर न किया तो इनके परिवार को रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे। प्रदेश सरकार कम्प्यूटर अनुदेशकों के दर्द को गंभीरता से ले और चुनाव के बाद जो भी सरकार बनती हैए वह जल्द से जल्द इन्हें रेगुलर कर अन्य कर्मचारियों की भांति वित्तीय लाभ प्रदान करे।
इस मौके पर जिला कांगड़ा के प्रधान संजीव कुमार, उपप्रधान विकास शर्मा, मंडी जिले के प्रधान रमेश शर्मा, राजीव पठानिया, तरुण ठाकुर, अनिल चौधरी, अरुण सिंह, रविकांत दत्ता, मनोज चौधरी, जगदेव सिंह, मेधा ठाकुर, सरिता पठानिया, सर्वजीत कौर, राम सिंह, सुनीत ठाकुर व अन्य अनुदेशकों ने मांग उठाई है कि चुनाव के बाद पहली ही कैबिनेट में कम्प्यूटर अनुदेशकों के लिए ठोस नीति बनाकर उन्हें नियमित करने की सौगात दी जाए।