शाहपुर के बतूनी गांव की कहानी,आजादी के 75 वर्ष बाद भी न सड़क बिजली न पानी

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आवाज़ ए हिमाचल

तरसेम जरियाल ,बोह

29 अगस्त।देश आज आजादी का 75वां अमृत महोत्व मना रहा है।जगह-जगह बड़े-बड़े कार्यक्रम कर आजादी की।खुशी मनाई जा रही है,लेकिन इन 75 वर्षों में शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत रुलेहड़ का बतूनी गांव आज भी नल,सड़क,बिजली व मोबाइल सिग्नल की राह ताक रहा है।
जंगल से घिरे पहाड़ पर बसे इस गांव की आजादी के बाद 75 वर्षों में न तो तस्वीर बदली है और न ही यहां बसे लोगों की तकदीर।मूलभूत सुविधाएं न मिलने के चलते कई परिवार यहां से पलायन कर निचले चंगर क्षेत्र में बस गए हैं। इस गांव के लोगों को सड़क, बिजली, पानी, दवा, मोबाईल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीना पड़ रहा है। अगर गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो उसे पालकी पर करीब चार किलोमीटर दूर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है।बतूनी, खार, कुट, दबड़ गांव में करीब 40 घर हैं।300 से ज्यादा लोगों की आबादी वाला ये छोटा सा गांव रुलहेड पंचायत के तहत चार किलोमीटर की दूरी पर जंगल में बसा है।गद्दी समुदाय वाले इस गांव के लोग पीने के पानी के लिए आज भी प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर निर्भर है।गांव के लोग लंबे समय से सड़क, बिजली, पानी और मोबाईल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं की कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की तरफ से सुनवाई नहीं की गई है।लोगों को आज तक सिर्फ आश्वाशन के सिवाय कुछ नही मिला है।हैरानी की बात यह है कि जल शक्ति विभाग की ओर से 800 मीटर पाईप आज से डेढ़ साल पहले दबड़ गांव के लिए डाली गई थी, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद किसी भी एक भी परिवार को नल कनेक्शन नही दिया गया। 800 मीटर पाईप सिर्फ जंग खा रही है। न तो उसमें पानी डाला गया और न ही किसी को कनेक्शन दिया गया है।यहां बिजली तो है लेकिन नाममात्र।ज्यादा वोल्टेज न होने की बजह से प्रॉपर रोशनी नही मिल पाती। सर्दियों में हीटर जैसी सुविधा की तो सोच भी नही सकते। विभाग की तरफ से कई वार आश्वस्त किया गया कि जल्द ट्रांसफार्मर लगा दिया जाएगा,लेकिन तीन साल बाद भी ट्रांसफार्मर नही लगाया गया।उपप्रधान ओम चंद की अगुवाई में ग्रामीण मंत्री सरवीण चौधरी से मुलाकात करेंगे।

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