पुलिस उपनिरीक्षक रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा शिकायत की जांच
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मानसून सत्र के तीसरे दिन सरकार की तरफ से 10 विधेयक सदन में पेश किए गए। इन विधेयकों में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 भी शामिल है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे सदन में पेश किया। इसके तहत सरकार हिमाचल में जबरन सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान करने जा रही है।
संशोधित विधेयक के पारित होने की स्थिति में राज्य में जबरन, कपट पूर्ण तरीके से अथवा विवाह के वक्त जाति छिपाने पर इसका खुलासा होने पर कड़ी सजा हो सकेगी। सनद रहे कि धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है। प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त यह कानून बना तथा वर्तमान सरकार ने 2019 में इसमें संशोधन किया।
संशोधित कानून के प्रावधानों के मुताबिक सामूहिक धर्म परिवर्तन, जिसमें 2 अथवा इससे अधिक लोगों का एक साथ कपट पूर्ण अथवा बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करवाए जाने की स्थिति में 7 से 10 साल तक कारावास का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कपटता पूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन कर मूल धर्म की सुविधाएं लेने पर भी 2 से 5 साल तक की सजा हो सकेगी।
संशोधित कानून के मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति द्वारा अन्य धर्म में विवाह करने अथवा ऐसे विवाह के वक्त अपने मूल धर्म को छिपाने की स्थिति में भी 3 से 10 साल तक कारावास का होगा, साथ ही एक से डेढ़ लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान भी सरकार ने कानून में किया है। धर्म की स्वतंत्रता कानून के प्रावधानों के तहत मिली किसी भी शिकायत की जांच पुलिस उपनिरीक्षक रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा। इन मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी।
माननीय स्वयं करेंगे आयकर का भुगतान
राज्य में माननीय अब स्वयं आयकर का भुगतान करेंगे। इस संबंध में सरकार की तरफ से विधानसभा सदस्यों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के वेतन व भत्ता कानून में संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे लेकर सरकार ने पहले अध्यादेश जारी किया था। मानसून सत्र के तीसरे दिन कानून में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संशोधित विधेयक को सदन में पेश किया। अब विधेयक के पारित होने पर माननीय चालू वित्त वर्ष से आय कर का भुगतान स्वयं करेंगे। अभी तक सरकार इनके आय कर का भुगतान करती थी।