आवाज़ ए हिमाचल
ब्यूरो,शिमला
15 दिसंबर।प्राकृतिक उत्पादों का उचित विपणन और प्रमाणन सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावकारी प्रणाली विकसित की जाएगी ताकि किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य मिल सकें। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश में सत्त खाद्य प्रणाली तंत्र की एक उच्च स्तरीय बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।जय राम ठाकुर ने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों की उचित मांग और विपणन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ेगी और किसान प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए कृतसंकल्प हैं और प्राकृतिक खेती से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने अपने पहले ही बजट में 25 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से राज्य के युवाओं के लिए कृषि एक लाभप्रद व्यवसाय बना है जो इससे पूर्व बेहतर रोजगार अवसर और आजीविका के लिए प्रदेश से बाहर जा रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले उत्पादन में कमी होने के डर से प्रदेश के किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने के इच्छुक नहीं थे। लेकिन अब राज्य के किसान प्राकृतिक खेती अपनाने में गहरी रूची दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने में कृषि क्षेत्र ने अहम भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एफएओ-आईएनआरएई पर एनेबलिंग सस्टेनेबल फूड सिस्टम नामक किताब का विमोचन किया।
कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा जहां एक ओर किसानों के लिए बेहतर कीमत सुनिश्चित हुई है वहीं यह स्वास्थ्य और वातावरण के लिए बहुत अच्छी साबित हुई है।मुख्य सचिव अनिल खाची ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार किसानों की समस्याओं को समझा जब उन्होंने उनकी आय वर्ष 2022 तक दोगुना करने की परिकल्पना की। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होता यदि किसान रसायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग करते या उत्पादों के बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाएं।अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि निशा सिंह ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती में किसानों की आर्थिकी में बदलाव लाने की क्षमता है, क्योंकि इससे उन्हें अच्छा मूल्य प्राप्त होता है।
एफएओ के भारत में प्रतिनिधि टोमियो सचिचरी ने कहा कि यह पुस्तिका स्थानीय फसलों के संरक्षण पर बल देती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और जापान कई तरह से एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों में ही विविध संस्कृति और प्रकृति है।
फ्रांस के कृषि, खाद्य और पर्यावरण के राष्ट्रीय शोध संस्थान, अंतःविषय प्रयोगशाला विज्ञान, नवाचार एवं समाज के उप निदेशक डाॅ. आलिशन लोकोंटो ने फ्रांस से बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल पयार्वरण के लिए बेहतर है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
आईएफओएएम-आॅर्गेनिक्स अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय जर्मनी गाबोर फिगेस्की के वरिष्ठ प्रबन्धक (ग्लोबल पाॅलिसी) ने भी जर्मनी से आॅनलाइन माध्यम से ‘सस्टेनेबल फूड सिस्टमस’ विषय पर विशेषज्ञ टिप्पणियां दीं।
ग्राम दिशा ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी और प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के पूर्व सलाहकार आशीष गुप्ता ने इस अवसर पर ‘सस्टेनेबल फूड सिस्टमस मेकेनिज्म’ पर प्रस्तुति दी।एक्सेस लाइवलिहुड कन्सल्टिंग इंडिया लिमिटेड हैदराबाद के कार्यकारी निदेशक जीवी कृष्णा गोपाल ने इस अवसर पर प्रस्तुति दी।
मिल्कफेड के अध्यक्ष निहाल सिंह शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, ग्रामीण विकास सचिव संदीप भटनागर, विशेष सचिव राजेश्वर चंदेल, निदेशक कृषि डाॅ. नरेश कुमार बंधन, निदेशक बागवानी डाॅ. जेपी शर्मा, निदेशक पशुपालन डाॅ. अजमेर डोगरा, राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक नरेश शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।