आवाज ए हिमाचल
शाहपुर, 21 जून। प्रदेश के एक मंत्री की कार्यप्रणाली भाजपा की सोच पर भारी पड़ने लगी है, पर मंत्री तो मंत्री है, उसे क्या प्रवाह भाजपा के विचारों की। अंतिम पंक्ति के अंत में खड़े व्यक्ति की मदद करने का दावा करने वाली भाजपा के मंत्री द्वारा जिन लोगों की डिस्क्रेशनरी ग्रांट (विवेकाधीन ग्रांट) से मदद की जा रही है, यह जानकारी होश उड़ाने वाली है, क्योंकि भाजपा के मंत्री की नजर में जो लोग गरीब की श्रेणी में आए हैं, उनमें बी श्रेणी के ठेकेदार तथा वर्षों तक पंचायत प्रधान रहने वाले भी शामिल हैं।
खैरात पाने वालों में भाजपा के पदाधिकारी भी हैं। इन्हें गरीब दर्शाकर अपनी डिस्क्रेशनरी ग्रांट से धन आबंटित किया गया है। दो-दो मंजिल घर के मालिक व अच्छे कारोबारियों को भी मंत्री ने अपनी इसी ग्रांट से धनराशि जारी कर उनकी गरीबी दूर करने का प्रयास किया है। पेंशन लेने वालों को भी खुश किया गया है। धन्य है मंत्री और उसकी नजर दृष्टि जिन्हें वही लोग गरीब दिखते हैं जो उनके करीब रहते हैं। वर्षों से मदद के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाए लोग भले ही नजरअंदाज होते रहें पर चहेते नहीं छूटने चाहिए, क्योंकि मंत्री की झूठी शान के किस्से तो यही लोग पढ़ेंगे।
देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने वाले हिन्द के जावांज शहीदों की आत्माएं भी स्वर्ग से धिक्कारती हुई पूछती होंगी कि क्या ऐसे भारत निर्माण के लिए ही उन्होंने अपना सर्वस्व कुर्बान किया था। अपने विवेक से विवेकाधीन ग्रांट का आबंटन बंदरबांट नहीं तो क्या कहा जाए?