आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।
31 मार्च। बिलासपुर जिला कांग्रेस सेवादल सदर के अध्यक्ष तथा पूर्व जिला पार्षद राजेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार जानबूझ कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। एक तरफ से सरकार बेरोजगार दूर करने के दावे करती फिरती है लेकिन तकनीकि पेचदिगियों में बच्चों को इस कदर फंसाया अथवा भ्रमित किया जाता है कि लेट-लतीफी के कारण बच्चे या तो परीक्षा देने से वंचित हो जाते हैं या वे अपना भविष्य कहीं और तलाशने के लिए निकल जाते हैं। कहा जा सकता है कि सरकार की नाकामी के कारण हजारों लाखों बच्चों का भविष्य हर साल बर्बाद हो जाता है।
राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में 27 प्रतिशत बच्चों का आना दर्शाता है कि सरकार की ओर से बहुत सी खामियां हैं जिसका खामियाजा बच्चों और उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब कि सर्विस सेलेक्शन कमीशन हमीरपुर हिमाचल प्रदेश द्वारा सरकारी विभागों में रिक्त पदों के लिए आवेदन मांगे जाते हैं तो उन पर आवेदन करने की सारी औपचारिकताएं भरी जाती हैं लेकिन उस फार्म या आवेदन पत्र पर परीक्षा की तिथि को लेकर किसी प्रकार की कोई सूचना अंकित नहंी होती है। लिहाजा एसएससी को अपनी मर्जी करने का मौका मिल जाता है।
राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि इससे पूर्व कई बार हो चुका है कि आवेदन करने के करीब साल या डेढ़ साल बाद परीक्षा की तिथि घोषित होती है, इस लंबे समय में विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर कहीं और हाथ पैर मारना शुरू कर देते हैं तथा कुछ तो नीजि रोजगार के चक्कर में जिला व प्रदेश से पलायन कर जाते हैं। ऐसे में जब प्रतियोगिता परीक्षा का समय आता है तो समय भी निकल चुका होता है तथा बच्चे भी आउट आफ सिलेबस हो जाते हैं। इसलिए बच्चे परीक्षा से कन्नी काट लेते हैं। क्योंकि जो क्रेज बच्चों का आवेदन के समय बना होता है वह एक प्रकार से समय के खिंच जाने से टूट जाते हैं तथा बच्चे हत्तोत्साहित हो जाते हैं।
ठाकुर ने कहा कि शासन के पास इस बात को लेकर कोरोना का बहाना हो सकता है लेकिन यह रवैया कोरोना से पहले का चला आ रहा है तथा अब भी बदस्तूर जारी है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की कतार को और लंबा करने के लिए सरकार की अस्पष्ट नीतियां जिम्मेवार हैं। राजेंद्र ठाकुर का सुझाव है कि जिस भी समय किसी भी पद के लिए आवेदन एसएससी द्वारा मांगे जाते हैं तो परीक्षा की तिथि भी उसी फार्म पर स्पष्ट तौर अंकित होनी चाहिए ताकि बच्चे अपना लक्ष्य साध कर अपनी तैयारी में जुट जाएं। इससे बच्चों में पढ़ाई का सामंजस्य भी बना रहेगा और परीक्षा केंद्र में बच्चों की संख्या में भी इजाफा होगा।
राजेंद्र ठाकुर ने मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री से मांग की है शिक्षित और प्रतिशिक्षित युवाओं के भविष्य को देखते हुए यदि सरकार वास्तव में संवेदनशील है तो आवेदन के समय ही परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी जानी चाहिए ताकि असमंजस का माहौल न बने और बच्चे एकाग्रता और लग्न से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर सके।