आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा ( बिलासपुर )
17 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज देश के नाम संबोधन में प्राकृतिक खेती को देश भर में लागू करने की घोषणा की गई थी। इस खेती की तकनीक को पूरे देश में अपनाए जाने की तैयारी चल रही है इस दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए आज वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन के समापन समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए कहा और पंचायत स्तर पर कम से कम एक ग्राम को प्राकृतिक खेती में लाने के लिए सुझाव दिया। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना को हिमाचल सरकार द्वारा साढ़े तीन वर्ष पहले पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा प्रतिपादित प्राकृतिक खेती विधि को राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई शिमला के माध्यम से पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है जिसमें अब तक बिलासपुर जिला के 9256 किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है तथा 7548 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपना लिया है। राज्य क्रियान्वयन इकाई के प्रयासों से पूरे प्रदेश के साथ बिलासपुर जिला में भी 175 पंचायतों में यह वर्चुअल बैठक आयोजित की गई।
जिसमें 3543 किसानों-बागवानों ने भाग लिया। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों को संबोधित करते हुए प्राकृतिक खेती मिशन में अग्रणी राज्यों आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व गुजरात की भूमिका को सराहते हुए अन्य राज्यों के किसानों को इस पद्धति को अपनाने का आह्वान किया। वर्तमान में गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत भारद्वाज ने भी वर्चुअल माध्यम से हिमाचल प्रदेश व बिलासपुर से जुड़े सभी किसानों व बागवानों को प्राकृतिक खेती सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी दीं। खेती के इस अभिमान को पूर्व में हिमाचल के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत भारद्वाज द्वारा इस वैकल्पिक विधि को अपनाने के लिए प्रदेश स्तर पर कार्य योजना शुरू की। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश स्तर पर पूरा ढांचा स्थापित किया और अपने पहले ही बजट में 25 करोड़ रूपये का प्रावधान किया। आतमा परियोजना को इस मिशन को चलाने का दायित्व दिया गया।
रसायनिक खादों व पौध संरक्षण दवाईयों से शुद्ध अनाज, दालों व सब्जियों की उपल्बधता प्रदेश व देश को जनमानस को मिले और कम उत्पादन लागत में किसान की आय मे वृद्धि हो, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस खेती के माॅडल को हर किसान के खेत तक पहुचाना और उत्पादन खर्चे को कम करना ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक डाॅ. राजेश्वर सिंह चंदेल ने हिमाचल प्रदेश मेें इस खेती से किसानों के खेतों में आ रहे उत्साह जनक परिणामों की जानकारी गुजरात में सम्पन्न हुए इस सम्मेलन में दी। बिलासपुर जिला में आतमा परियोजना की परियोजना निदेशक डाॅ. पवन उप परियोजना निदेशक डाॅ. देशराज शर्मा, डाॅ. रितेश गुप्ता व चारों विकास खण्डों में तैनात बी.टी.एम. व ए.टी.एम. ने पंचायत स्तर/ग्राम स्तर पर इस वर्चुअल बैठक को करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। देशी गाय के गोबर, गोमूत्र व मूलभूत विज्ञान पर आधारित खेती से जुड़ने के लिए आतमा परियोजना के समस्त कर्मचारियों से किसान सम्पर्क करें।