आवाज ए हिमाचल
23 नवंबर, धर्मशाला: पूर्व मंत्री एवं अखिल भारतीय कांग्रेस के सचिव सुधीर शर्मा ने मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर के उस बयान को हास्यास्पद बताया है जिसमें उन्होंने यह कहा है कि कांगड़ा जिला को काट कर छोटे ज़िले बनाए जाएंगे । उन्होंने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आज के दौर में जब संचार क्रांति इतनी ज़्यादा प्रगति कर चुकी है और कोरोना काल ने हमें यह सिखाया है कि वर्क फ़्रॉम होम भी एक कॉन्सेप्ट है। ऐसे समय में जय राम ठाकुर और ज़्यादा प्रशासनिक इकाइयां बनाने की बात कर रहे हैं ।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह अपने प्रशासनिक सेवाओं को आईटी के माध्यम से इतना मज़बूत करें कि प्रदेश के हर नागरिक को छोटे व बड़े काम, चाहे वह राजस्व संबंधी काग़ज़ात हों, जन्म और मृत्यु पंजीकरण होंं या अन्य दस्तावेज़ हों ।
वह ऑनलाइन उपलब्ध हो सकें जिससे कि उनको जिला मुख्यालय तक न जाना पड़े। जितनी ज़्यादा प्रशासनिक इकाइयाँ बनेंगी उतना ज़्यादा बोझ प्रदेश की आर्थिकी पर पड़ेगा । सुधीर शर्मा ने कहा कि आज मुद्दा यह नहीं है कि हम कितने ज़िले बनाते हैं । चिंताजनक बात यह है कि बढ़ती महँगाई और बेरोज़गारी से हम प्रदेश की जनता को कैसे राहत देंगे तथा प्रदेश में सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली के ढांचे को और मज़बूत करके कैसे आम जन को लाभ दे पाएंगे।
पूर्व मंत्री ने कहा कि केवल मात्र राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए तो यह ठीक है कि नयी प्रशासनिक इकाइयाँ बनाएँगे लेकिन इसका बोझ जो प्रदेश पर पड़ेगा उसका ज़िम्मेवार कौन होगा। सुधीर शर्मा ने कहा कि जो प्रदेश क़र्ज़ा लेकर कर्मचारियों को वेतन दे रहा हो, उस प्रदेश में इस प्रकार की सोच प्रदेश को अंधकार की तरफ़ धकेलने वाली है । सुधीर शर्मा ने पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री मंडी जिला के भी 3 ज़िले बनाएंगे और जहां जहां से माँग आएगी, वहाँ भी ज़िले बनाएंगे । कांगड़ा प्रदेश का गौरव है और सबसे बड़ा जिला है । कांगड़ा ज़िले के विभाजन को कांगड़ा की जनता कभी सहन नहीं करेगी । पहले भी कई बार प्रयास होते रहे हैं लेकिन कांगड़ा की भावनाओं को समझते हुए पहले की सरकारों ने कभी भी इस प्रकार का क़दम नहीं उठाया।
अच्छा होगा मुख्यमंत्री अधिकारियों से जान लें कि कितना अतिरिक्त वित्तीय बोझ पर प्रदेश को ऐसी प्रशासनिक इकाइयाँ बनाने पर उठाना पड़ेगा। पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि ज़िले बनाने के बजाए निचले स्तर पर विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरने की आवश्यकता है जिस से कि नीचे के स्तर पर ढाँचा मज़बूत हो न कि ऊपर के स्तर पर । उन्होंने चेताया है कि केवल कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए प्रदेश के हितों से खिलवाड़ क़तई मंज़ूर नहीं होगा।