आवाज़ ए हिमाचल
9 नवम्बर। अब चंबा चप्पल और लाहुल की जुराबों व दस्तानों को जिओग्रॉफिकल आइडेंटि-फिकेशन टैग मिल गया है। ऐसे में इन हिमाचली उत्पादों की कोई नकल नहीं कर पाएगा साथ ही इन्हें राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर अब अलग पहचान मिलेगी। हिमाचल प्रदेश पेटेंट सूचना केंद्र और हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद ने चंबा चप्पल और लाहुली जुराबें एवं दस्तानों को भौगोलिक संकेतक अधिनियम 1999 के अंतर्गत पंजीकरण करने में सफलता प्राप्त की है। हिमाचल के लिए यह गर्व की बात है,
कि इन्हें रजिस्ट्रार ऑफ ज्योग्राफिकल इंडिकेशन, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया है। भौगोलिक संकेतक अधिनियम के तहत चंबा चप्पल और लाहुली जुराबें एवं दस्तानों का पंजीकरण अनाधिकृत उत्पादन को रोकने के साथ-साथ इनके वास्तविक उत्पादकों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए सहायक सिद्ध होगा। भौगोलिक संकेतक अधिनियम में पंजीकरण यह भी सुनिश्चित करेगा कि निर्देशित क्षेत्र से बाहर इन उत्पादों का उत्पादन नहीं हो सकता है। अंबेडकर मिशन सोसायटी और एचपी पेटेंट सूचना केंद्र से संबधित मुद्दों से निपटेंगे।
जीआई अधिनियम के तहत, इन उत्पादों के मूल क्षेत्र के अलावा अन्य उत्पादकों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अपयोग और उल्लंघन के परिणामस्वरूप अधिकतम तीन वर्ष का कारावास और अधिकतम 2 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। चंबा चप्पल और लाहुली जुराबें एवं दस्ताने का भौगोलिक संकेतक पंजीकरण इन उत्पादों के घरेलु एवं वैश्विक बाजार में मूल्य क्षमता में मूल्य संवर्धन एवं क्षमता निर्माण में सहायक होगा, जिससे जीआई क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।